रवि अवस्थी,भोपाल। प्रदेश में चौदहवीं विधानसभा के चुनाव को लेकर राजनैतिक दलों में जहां खलबली मची हुई है। वहीं चुनाव आयोग की चिंता देश के पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को शांति व साफ-सुथरे तरीके से करा पाने को लेकर है। इसके लिए आयोग का जोर आयोग का जोर तीन ‘एफ’ यानि फ्री, फेयर व फियरलेस पर है। इसी सिद्धांत पर अमल भी शुरु हो गया है। चुनाव को लेकर आयोग की संजीदगी का आंकलन इसी बात से किया जा सकता है,कि प्रदेश में ही चुनाव की आवश्यक तैयारियां उसने साल भर पहले शुरु कर दी। अब जबकि चुनाव नजदीक है तो चुनाव के संभावित संवेदनशील पहलु वाले मामलों पर भी उसकी पैनी निगाह है। चुनाव में कालेधन उपयोग का मामला हो या बाहुबलियों के आतंक से निपटना। आयोग ने निष्पक्ष चुनाव के लिए सभी जरूरी मामलों में नाकेबंदी अभी से शुरु कर दी है। यही नहीं मतदाताओं को उनके अधिकार का उपयोग करने के लिए भी आयोग प्रेरित कर रहा है ताकि बेहतर नतीजों के लिए अधिकाधिक लोग वोटिंग करें।
यह पहला मौका है,जब चुनाव आयेग इस बात के लिए चिंतित है कि चुनाव में अति विशिष्ट व्यक्ति या यूं कहें कि पढ़ा लिखा समझा जाने वाला तबका वोट क्यों नहीं डालता? मतदान के प्रति अरुचि रखने वाले ऐसे लोगो के लिए आयोग ने पहली बार फार्म 49(ओ) का उपयोग करवाने का निर्णय भी लिया है। आयोग द्वारा इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। यह फार्म उन मतदाताओं के लिए होगा जो किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान नहीं करना चाहते,लेकिन आयोग की चिंता इन्हें मतदान केंद्रों तक लाने की है। बताया जाता है कि आयोग इस बार ऐसे मतदाताओं की अलग सूची तैयार करेगा। इस कार्य में निजी एजेंसियों की मदद भी ली जाएगी। इसके अलावा हर मतदान केन्द्र पर रजिस्टर रखा जाएगा। इसमें उन सभी का ब्यौरा शामिल होगा जो मतदान करने नहीं पहुंचे या पहुंचे लेकिन किसी को मत ही नहीं दिया। स्थानीय स्तर पर भी ऐसे लोगों से पूछताछ की जाएगी। इसके लिए चुनाव के ठीक बाद वीआईपी इलाकों में चुनिंदा मतदान केन्द्रों पर औचक सर्वे कराने का निर्णय लिया गया है। इसमें मतदाताओं की सूची देखकर पूछताछ की जाएगी कि उन्होंने मतदान में किस वजह से हिस्सा नहीं लिया। इसके आधार पर आयोग आगामी चुनावों में मत प्रतिशत बढ़ाने की रणनीति तय करेगा। यही नहीं आयोग मतदान का प्रतिशत बढ़वाने के इरादे से अधिकाधिक मतदान के आव्हान के साथ प्रचार भी किया जा रहा है। यही नहीं चुनाव पूर्व आर्थिक सांख्यिकी महकमे से भी मतदाताओं के व्यवहार का पता लगाने सर्वे कराया जा रहा है।
गुजरात पेटर्न पर काम
प्रदेश में चुनाव के लिए आयोग ने उत्तर प्रदेश व गुजरात विधानसभा के पिछले चुनाव में अजमाए फामूर्ले को बहुत हद तक यहां भी लागू किया है। इसके तहत हर छोटी-बड़ी गतिविधियों के लिए प्रदेश स्तरीय नोडल आॅफिसर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इस जमावट में एक अधिकारी जहां आचार संहिता के पालन का काम देखेगा तो दूसरे के जिम्मे कानून व्यवस्था से जुड़े मसले रहेंगे। इस प्रकार प्रदेश में करीब दो दर्जन अधिकारियों को चुनावी व्यवस्थाओं के प्रबंधन के काम में लगाया जाएगा। ये सभी अधिकारी सीधे आयोग को रिपोर्ट करेंगे। इस व्यवस्था को अमलीजामा पहनाने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने सामान्य प्रशासन विभाग से कहा है। सूत्रों के मुताबिक गुजरात विधानसभा चुनाव को व्यवस्थित तरीके से अंजाम देने के लिए आयोग ने नोड्ल आॅफिसर तैनात करने का फार्मूला अपनाया था। इसके तहत शासन से विभिन्न गतिविधियों के लिए अधिकारी नियुक्त कराए गए। यही फार्मूला प्रदेश में भी अपनाया जा रहा है। इसके तहत सामान्य प्रशासन विभाग को गत दिनों दिश -निर्देश भी जारी किए गए है। आयोग इन नोडल अधिकारियों के माध्यम से ही मैदानी स्तर की जानकारी जुटाने अपने दिशा -निर्देशों के पालन आयोग को इन मुद्दों पर जो भी काम कराना होता था वह सीधे इनके मार्फत से अंजाम देता था। इसका नतीजा यह हुआ कि चुनाव के कार्य को व्यवस्थित तरीके से कराया जा सका। इसके तहत ज्यादातर जिलों में अधिकारी पाबंद कर इनसे संबंधित बिंदुओं पर जानकारी तलब की जा रही है। इन बिंदुओं में मतदान दल का गठन, ईवीएम, यातायात, प्रशिक्षण, सामग्री व्यवस्था, आदर्श आचार संहिता, व्यय पर निगरानी, आब्जर्वर की व्यवस्था, कानून व्यवस्था, वेलेट पेपर/डमी वेलेट, मीडिया, कम्प्यूटरीकरण, स्वीप प्लान, शिकायत, कम्युनिकेशन प्लान/एसएमएस मॉनीटरिंग आदि शामिल हैं। नोडल आफीसर पदस्थापना के मामले में कमोवेश यही प्रक्रिया राज्य स्तर पर भी अपनाई गई है। जो समन्वयक की भूमिका अदा करने के साथ ही मैदानी स्तर से मिलने वाली समस्याओं के निराकरण में भी भूमिका अदा करेंगे। इसी तरह से कानून व्यवस्था के लिए तैनात अधिकारी पुलिस मुख्यालय से समन्वय बनाने के साथ जिलों से अमले की दरकार का आकलन कराकर व्यवस्था कराने में भूमिका निभाएगा।
घोषणाओं व पेड न्यूज पर नजर
चुनाव के दौरान राजनेता मतदाताओं क ो लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते। हालांकि वह दौर गया जब मतदान की पूर्व संध्या को शराब व कंबल बांट कर अपने पक्ष में मतदान करा लिया जाता था। अब मतदाता भी अपने अधिकार व हैसियत के प्रति खासा जागरूक है। बावजूद इसके चुनाव आयोग अपने तई भी इस बात पर नजर रखेगा कि मतदाताओं को लुभाने के कोई नियम विरुद्ध प्रयास न हों। इस दिशा में उच्चतम न्यायालय के द्वारा दिए गए निर्देश पर अमल के इरादे से चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र के लिए नए दिशा निर्देश भी तैयार किए हैं। आयोग ने हाल ही में सूबे के विभिन्न राजनैतिक दलों के प्र्रतिनिधियों की बैठक बुला कर उन्हें नए नियमों से अवगत भी कराया। ज्ञात हो कि तमिलनाडु में पिछले चुनाव के दौरान वहां की जयललिता सरकार ने मतदाताओं को मुफत उपहार देने व कुछ अन्य लोक लुभावन वायदे किए थे । बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इस मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देशित किया था कि वह राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्रों के संबंध में ऐसे दिशा- निर्देश बनाए जिनमें मतदाताओं को व्यक्तिगत व सीधे तौर पर लुभाने वाली घोषणाएं न हों। इसके अलावा आयोग ने अब प्रिंट व इलेक्ट्रानिक माध्यमों में चुनाव के दौरान बढ़ते पेड न्यूज के चलन पर भी अंकुश लगाने का फै सला किया है। पेड न्यूज पर नजर रखने के लिए राज्य एवं जिला स्तर पर अलग-अलग समितियां बनाई जा रही हैं। जो समाचार पत्र व न्यूज चैनलों पर प्रकाशित,प्रसारित होने वाली खबरों पर नजर रखेगी। संदेह की स्थिति में संबंधित प्रकाशक व प्रबंधन से इस बावत स्पष्टीकरण मांगा जाएगा व शिकायत सही पाए जाने पर पेड न्यूज पर खर्च होने वाली राशि को संबंधित उम्मीदवार के खर्च में शामिल किया जाएगा। वहीं प्रकाशक व प्रसारणकर्ता के खिलाफ भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। ज्ञात हो कि पिछले चुनाव में ही ऐसे कई प्रकाशन बेनकाब हुए जो सार्वजनिक तौर पर पत्रकारिता को मिशन बताते रहे लेकिन पेड न्यूज ने उनका दोहरा चरित्र उजागर कर दिया। राज्य मंत्रिमंडल के एक प्रमुख सदस्य के खिलाफ आयोग में अब भी यह मामला विचाराधीन है।
कालाधन न बन जाए खतरा
प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग इस बार मुख्यमंत्री, मंत्रियों एवं नेता प्रतिपक्ष के साथ कुछ बाहुबली विधायकों के क्षेत्रों में कालेधन के उपयोग पर विशेष नजर रखेगा। सूत्रों के अनुसार प्रदेश में इस बार चुनाव में काले धन के उपयोग की आशंका को देखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में धनबल के इस्तेमाल की आशंका के चलते उन्हें संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है। प्रदेश में यह पहली बार है जब चुनाव आयोग ने चुनाव खर्च की दृष्टि से संवेदनशील सीटों का चयन किया है। पूरे प्रदेश में लगभग 60 सीटों को संवेदनशल माना गया है । इनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह तथा प्रदेश मंत्रिमंडल के अधिकांश मंत्रियों के क्षेत्र शामिल है। मुख्य चुनाव आयुक्त वीके संपत ने भी हाल ही में प्रदेश के दौरे के समय बताया था, कि प्रदेश में शराब नगदी और उपहार वितरण पर रोक लगाने के लिहाज से संवेदनशील सीटों को चिन्हित किया गया है. आयोग इन सीटों पर विशेष नजर रखेगा। जानकारों के अनुसार आयोग ने जिन 60 संवेदनशील सीटों का चयन किया है उनमें चार दर्जन से अधिक पर भाजपा का कब्जा है। इनमें दो दर्जन से अधिक विधानसभा क्षेत्रों के प्रतिनिधि वर्तमान में राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य हैं। विधान सभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी का विधान सभा क्षेत्र भी इसमें शामिल है। कांग्रेस की कब्जे वाली जिन सीटों को संवेदनशील माना गया है उनमें नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक नर्मदा प्रसाद प्रजापति, पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह, केपी सिंह, आरिफ अकील, महेन्द्र सिंह कालूखेडा आदि के क्षेत्र शामिल हैं। निर्दलीय विधायक पारस सखलेचा के क्षेत्र को भी धनबल के हिसाब से संवेदनशील क्षेत्रों की सूची में शामिल किया गया है। सूत्रों के अनुसार आयोग इन क्षेत्रों में काले धन का दुरुपयोग रोकने के लिये विभिन्न जांच एजेंसियों से संपर्क कर विशेष दस्ते तैयार करेगा। विधान सभा चुनाव में कालेधन के खपत की आशंका को लेकर सतर्क चुनाव आयोग ने अपनी पैनी नजर जमीन ही नहीं बल्कि आसमान में भी गड़ा दी है। रेलवे स्टेशन, होटल, फार्म हाउस, हवाला एजेंट, वित्तीय ब्रोकर, कैश कोरियर्स के अलावा चुनाव आयोग नकदी के अन्य संदेहास्पद एजेंसियों व व्यक्तियों पर भी कड़ी निगरानी रखेगा। इसके लिए आयोग ने आयकर विभाग को रेलवे स्टेशन व बस अड्डा के साथ ही हवाई अड्डों पर भी विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। सनद् रहे कि आयोग पूर्व के अनुभवों के आधार पर चुनाव के दौरान प्रयोग होने वाले कालेधन पर नकेल कसने के लिए आयकर विभाग का सहयोग लेगा। इस दौरान आयकर विभाग ने मतदाताओं को प्रलोभन में डालने के लिए उपहार व नकद या अन्य मदों के संचलन पर निगरानी के लिए चुनाव आयोग के निर्देश पर विशेष कार्ययोजना तैयारी की है। इसके तहत विभाग की टीम सूचना या शिकायत के आधार पर किसी भी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध स्वतंत्र छानबीन कर सकती है। इतना ही नहीं आदर्श आचार संहिता के दौरान किसी भी व्यक्ति द्वारा बैंक से बड़ी धनराशि के लेनदेन की जानकारी पर विभाग संबंधित व्यक्ति से भी पूछताछ कर सकता है। इस दौरान किसी भी व्यक्ति के बैंक खाते एक लाख रुपये से अधिक की निकासी पर भी विभाग की नजरें टेढ़ी होंगी। धन निकासी के बावत संबंधित व्यक्ति को जांच अधिकारी की संतुष्टि के बाद ही धन व्यय करने का अधिकार होगा। इस बावत विभाग सभी बैंकों से चुनाव प्रक्रिया के दौरान हुए लेनदेन की रिपोर्ट तलब करेगा। यदि नकदी के बड़ी राशि (दस लाख से अधिक) की संदेहास्पद निकासी का कोई मामला सामने आता है, तो जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा कार्रवाई हेतु निर्देश दिया जाएगा। नकद के संचलन पर रोक के लिए आयकर विभाग की टीम में एक सहायक निदेशक व दो आयकर अधिकारी तैनात रहेंगे।
मतदान के दिन विशेष सतर्कता
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग इस बार फ्लाइंग स्क्वायड का गठन भी किया जा रहा है। इस योजना के तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में तीन निगरानी दल गठित होगें। जो पैसा और शराब के उपयोग पर कड़ी निगरानी रखेंगी। ये टीमें पर्यवेक्षक की निगरानी में काम करेंगी। इसके अलावा इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों को दुरस्त करने व इन्हें परखने की प्रक्रिया भी शुरु हो गई है। इसी तारतम्य में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी जयदीप गोविंद ने जिलों में तैनात नोडल अधिकारियों से गत दिनों कहा कि वे ईवीएम के भौतिक सत्यापन का काम जल्द पूरा करें। जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र से 30 हजार ईवीएम और 19 हजार 500 कंट्रोल यूनिट प्रदेश में लाए गए हैं। विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश में इस बार करीब 94 हजार 500 ईवीएम मशीनों की आवश्यकता होगी।
बाहुबलियों पर अंकुश लगाने की हिदायत
चुनाव आयोग ने गत दिनों वरिष्ठ मैदानी अफसरों की बैठक ली। इसमें उनसे कहा गया, कि विधानसभा चुनाव 'फ्री, फेयर और फियरलैस' होना चाहिए। उनकी सबसे ज्यादा चिंता उत्तर प्रदेश और राजस्थान सीमा से लगे बुंदेलखंड और चंबल के इलाकों को लेकर रही तो मालवा में साम्प्रदायिक तनाव के लिए आयोग ने अफसरों को चेताया। सूत्रों ने बताया कि आयोग ने सभी अफसरों को अपना टारगेट 'थ्री एफ' के माध्यम से बताया। पुलिस अफसरों ने अपनी समस्याओं को रखते हुए ज्यादा बल दिए जाने की मांग की। आयोग ने मतदान के दौरान बूथ केपचरिंग, चुनाव के दौरान हथियारों की सप्लाई, गुंडागर्दी और शराब सप्लाई जैसी समस्याओं पर चिंता व्यक्त की। आयोग ने चंबल, बुंदेलखंड, बघेलखंड और मालवा से लगे यूपी, राजस्थान सीमा वाले जिलों को लेकर गंभीर चिंता जताई। इन इलाकों में भी भिंड, मुरैना, दतिया, रीवा, सतना, पन्ना, टीकमग़ढ जैसे जिलों के अफसरों को आयोग ने प्रतिबंधात्मक कार्रवाई में कोई लापरवाही नहीं बरतने के निर्देश दिए। चुनाव के मद्देनजर यूपी और राजस्थान की सीमा पर चौकसी ब़़ढाए जाने और सीमा सीलबंद करने पर आयोग ने विशेष जोर दिया। इसी तरह साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील मालवा इलाके के लिए भी आयोग ने पुलिस अफसरों को हर सूचना को गंभीरता से लेने को कहा। आयोग ने कहा कि किसी भी घटना को हल्के में नहीं लिया जाए क्योंकि छोटी से छोटी घटना भी बड़ा स्वरूप अख्तियार कर सकती है। एचएस ब्रम्हा केन्द्रीय निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि हमारे देश में राजनीति, क्राईम और भ्रष्टाचार टॉप पर है। यह लोग पूरी सोसायटी को प्रभावित करते हैं। प्रशासक होने के नाते आप लोगों को इनसे सतर्क रहना है। उन्होंने कहा कि विशेषकर उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे क्षेत्रों में सतर्कता बरती जाए। यहां से शराब, हथियार और बाहुलियों के प्रवेश की संभावना प्रबल है। ब्रम्हा ने कहा कि हमें विभिन्न राजनैतिक दलों से शिकायत मिली है कि प्रदेश के अधिनस्थ अधिकारियों का झुकाव सरकार की तरफ ज्यादा है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर चुनाव से दूर रखा जाए। बैठक में फार्म 49 (ओ) के उपयोग करवाने के तरीके व इसकी आवश्यकता भी बताई गई। सिंगरौली, मंडला एवं बालाघाट सहित अन्य आदिवासी बाहुल्य जिलों के पुलिस अफसरों ने कहा कि हमारे क्षेत्रों में नक्सलियों की आवाजाही बनी रहती है। ऐसे में निष्पक्ष चुनाव के लिए हमें अन्य जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल कंपनी मुहैय्या कराई जाए।
फर्जी मतदाताओं पर रखी निगाह
प्रदेश में साफ-सुथरे तरीके से चुनाव के लिए आयोग ने साल भर पहले से ही अपना काम शुरु कर दिया था। मतदाता सूची को दुरस्त कराने की प्रक्रिया भी लंबी चली। इस दौरान मतदाता सूची में दर्ज सवा तीन लाख अपात्र मतदाताओं के नाम भी काटे गए। यहां तक कि प्राप्त शिकायतों की जांच के लिए आयोग के अमले ने घर-घर पहुंच कर वास्तविकता जानी। मतदाता का नाम फर्जी पाए जाने पर इसे सूची से विलोपित किया गया। मतदाता-सूचियों में अंतिम रूप से दर्ज मतदाताओं को उनके विधानसभा क्षेत्र, मतदान केंद्र व सरल क्रमाक की सूचनाएं भी घर पर भेजी गई। वहीं मतदाताओं को पहली बार मतदाता सूची में दर्ज उनके नाम आदि की जानकारी डाक के जरिए घर बैठे हॉसिल हुई।
बुधवार, 4 सितंबर 2013
मध्यप्रदेश :फ्री, फेयर व फियरलेस चुनाव की तैयारी
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Ditulis Oleh : Janprachar.com Hari: 12:50 am Kategori: मध्यप्रदेश समाचार
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