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शनिवार, 1 सितंबर 2012

साधना जैसा कोई नहीं (वर्षगाठ 2 सितम्बर पर विशेष )

      अशोक मनवानी//

       रुपहले  पर्दे पर अपनी दिलकश अदाकारी से घर-घर में पसंद की गई साधना शिवदासानी ( विवाह के बाद साधना नय्यर) आज 71 वें वर्ष में प्रवेश कर गईं हैं। वे अपने घर पर पुरानी फिल्में देखने ऑटर्स क्लब जाने और बागवानी जैसे कामों में व्यस्त रहतीं है। साधना का भी एक सुहाना दौर था। सिंधी फिल्म अबाणा से अभिनय का सफर शुरु करने वाली साधना ने जो शोहरत कमाई वह किसी से छिपी नहीं है। साधना की जो बेहद कामयाब फिल्में रही है उनमें लव इन शिमला, मेरे मेहबूब, आरजू, वक्त, वो कौन थी, मेरा साया, हम दोनों, वंदना, अमानत, उल्फत, बदतमीज, इश्क पर जोर नहीं, परख, प्रेमपत्र, गबन, एक फूल दो माली, गीता मेरा नाम' प्रमुखता से गिनाई जा सकती है।साधना का जन्म दो सितंबर 1941 में हुआ। साधना की माँ लालीदेवी और पिता श्री शेवाराम थे। एक बहन भी थी सरला, जो अब नहीं है। साधना ने कला फिल्मों में भी अभिनय किया। रोमांटिक और रहस्यमयी फिल्मों के अलावा कला फिल्मों में भी उन्हें सराहा गया। उनकी हेयर स्टाइल, आज भी साधना कट के नाम से जानी जाती है। चूड़ीदार-कुर्ता, शरारा, गरारा, कान में बड़े झुमके, बाली और लुभावनी मुस्कान यह सब साधना की विशिष्ट पहचान रही है। चार फिल्मों में साधना ने दोहरी भूमिका निभाई।वर्ष 1948 में विभाजन के पश्चात भारत आ गई, तब वे मात्र 6 वर्ष की थी। 1958 में उन्होंने अपनी पहली सिंधी फिल्म अबाणा की। उस समय उनकी आयु 16- 17 वर्ष की थी। अभिनेत्री शीला रमानी इस फिल्म की नायिका थी और साधना ने उनकी छोटी बहन का किरदार निभाया था। उनकी देवआनंद के साथ एक फिल्म 'साजन की गलियाँ' कुछ कारणों से थियेटर तक नहीं पहुँच सकी। 
साधना के प्रमुख नायकों में जॉय मुखर्जी, देव आनंद, सुनील दत्त, मनोज कुमार, शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार, राज कपूर, फिरोज खान, शशि कपूर, किशोर कुमार, संजय खान व वसंत चौधरी आदि का नाम आता है। इन दिनों साधना प्रशंसकों के बीच नहीं आती। लंबे अर्से से उनसे जुड़ी कोई खबर भी नहीं। पिछले दिनों कॉलेज की पुरानी सखी जुहू निवासी पुष्पा छुगानी से मिली और बीते दिनों की स्मृतियाँ बाँटी। बान्द्रा के लिंकिंग रोड़ स्थित ऑटर्स क्लब वे जाती रहती हैं। मशहूर फिल्म 'हम दोन रंगीन  है, इस पर साधना ने खुशी व्यक्त की है। साधना सार्वजनिक पार्टी, क्लब, प्रशंसक, प्रेस सभी से दूर रहती हैं। लेकिन उनके चाहने वाले उनसे इस जन्मदिन पर कहना चाहते हैं : अजी रूठकर अब कहाँ जाइएगा, जहाँ जाइएगा हमें पाइएगा...!                   

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Ditulis Oleh : Janprachar.com Hari: 4:59 am Kategori:

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