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सोमवार, 20 अगस्त 2012

पूर्वजों की यादों की तरह सहेंजेगे पुरातन स्मारकें


प्रमोद त्रिवेदी, भोपाल

पुरातन स्मारकें हमारे पूर्वजों की धरोहर की तरह होती हैं। हम इन्हें सहेजने और संरक्षित करने के लिए वचनवद्ध हैं। इस काम में न तो कोताही बरती जाएगी और न ही धन- संसाधनों की कमी आने दी जाएगी। मध्यप्रदेश के पुरातात्विक स्मारकों के संरक्षण के लिए 13 वें वित्त आयोग द्वारा 175 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इस राशि से प्रदेश के पुरातात्विक स्मारकों एवं धरोहरों का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाएगा। संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने यह बात स्वराज भवन में 'The Grandeur of Granite Shiva-Yogini Temples of Vyas Bhadora'' पुस्तक के विमोचन अवसर पर कही। लेखक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्री अशोक शाह हैं।

संस्कृति मंत्री ने कहा कि व्यास भदौरा और आशापुरी मंदिर समूह को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि व्यास भदौरा और आशापुरी में मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया जा रहा है। उन मंदिरों के अतिरिक्त अन्य स्मारकों के विकास के लिए डीपीआर ौयार करवाया गया है। श्री शर्मा ने श्री अशोक शाह के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि विभाग हमेशा उनका सहयोग लेता रहेगा। श्री शर्मा ने कहा कि व्यास भदौरा के मंदिरों की सबसे बड़ी विशेषता, उनका ग्रेनाइट पत्थरों से निर्माण है।

पुस्तक के लेखक श्री अशोक शाह ने बताया कि ग्राम व्यास भदौरा छतरपुर जिले की चन्दला उप-तहसील में स्थित है। राज्य शासन द्वारा यहाँ के 13 मंदिर समूह में से दो मंदिर को वर्ष 1990 में राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। यहाँ के जीर्ण-शीर्ण मंदिरों का पुनरूद्धार किया जा रहा है। मंदिरों के शिल्प को देखने के बाद यह ज्ञात हुआ है कि व्यास भदौरा के मंदिर खजुराहो में निर्मित मंदिरों के पूर्व बनाए गये थे। ऊँची जगती पर बने मंदिर क्रमांक एक और दो पूर्वाभिमुख होते हुए शिव को समर्पित है। संभवत: यह पहला मंदिर समूह होगा जो तीन तरफ सोपान योजना से युक्त है। कठोर ग्रेनाईट पत्थरों से निर्मित इन मंदिरों को बनवाने में अधिक श्रम लगा होगा, यही कारण है कि बाद में चन्देलों ने ग्रेनाईट के पत्थरों से मंदिर नहीं बनवाया। संभवत: व्यास भदौरा के मंदिर समूह चन्देलों के मूर्ति एवं मंदिर निर्माण के शिल्प की कहानी के प्रथम सोपान हैं।

पुस्तक में चार अध्याय हैं, जिनमें भूमिका, ऐतिहासिक जानकारी मंदिर स्थापत्य के विकास की गाथा तथा कला एवं प्रतिमा विज्ञान के बारे में सारगर्भित जानकारी उपलब्ध है। पुस्तक में 71 बहुरंगी छायाचित्र भी हैं। कार्यक्रम में संचालक खेल एवं युवा कल्याण डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव और संचालक संस्कृति श्रीराम तिवारी भी उपस्थित थे।
----------------------------प्रमोद त्रिवेदी, भोपाल

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Ditulis Oleh : Janprachar.com Hari: 1:44 am Kategori:

1 comments:

mona ने कहा…

good efforts .keep doing honest honest work its need of the time


With Regards
Mona

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