प्रकृति ने अपने गर्भ में इतने रहस्यों और अद्भुत चीजों को छिपाकर रखा है, जिसे देखकर श्रद्धा और भक्ति बढ़ जाती है। गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से तीन किमी. अंदर अरब सागर में निष्कलंक महादेव स्थित है। यहां पर अरब सागर की लहरें रोज पांच शिवलिंगों का जलाभिषेक करती हैं। कहा जाता है शिवलिंग के पास ही एक कुंड भी है, जिसमें अक्षय तृतीया के दिन स्वं गंगाजी प्रकट होती हैं। इस दिन यहां स्नान करने का बहुत महत्व बताया जाता है। आइए जानते हैं इन पांच शिवलिंग के बारे में जिसका जलाभिषेक स्वं सागर करता है…
1/5 स्वयंभू हैं शिवलिंग

जिसे देखकर आप जान सकते हैं, सागर में यहां पर देवों के देव महादेव का मंदिर हैं, जिसमें शिवजी के पांच स्वयंभू शिवलिंग हैं।
इस मंदिर की विशेषता यह है कि रोज दोपहर एक बजे से रात 10 बजे भक्तों को शिवलिंग का दर्शन करने के लिए समुद्र रास्ता देता है, इसके बाद आप शिवलिंग के दर्शन नहीं कर सकते।
मान्यता है कि अगर किसी प्रियजन की चिता की राख शिवलिंग पर लगाकार जळ में प्रवाहित कर दें तो उसको मोक्ष मिल जाता है।
3/5महाभारत काल से है इस मंदिर का संबंध
इस मंदिर का महाभारत काल से भी संबंध है। कथाओं के अनुसार, युद्ध के बाद पांडव यह जानकार बड़े दूखी हूए कि उन्हें अपने ही सगे-संबंधियों की हत्या का पाप लगा है।
पाप से छुटकारा पाने के लिए पांडव श्रीकृष्ण से मिले। श्रीकृष्ण ने पांडवों को काला ध्वज और काली गाय सौंपकर अनुसरण करने को कहा।
4/5 इस तरह मिली पाप से मुक्ति
श्रीकृष्ण ने बताया, जब ध्वज और गाय का रंग बदल जाएं यानी काली से सफदे हो जाएं तो समझ लेना पाप से मुक्ति मिल गई। साथ ही जिस जगह ऐसा हो, वहां शिवजी की तपस्या भी करना। कोलियाक तट पार पहुंचे तो पांडवों की गाय और ध्वज का रंग सफेद हो गया, वहीं भगवान शिव की तपस्या भी करने लगे। शिवजी मे प्रसन्न होकर पांचों भाईयों को लिंग रूप में अलग-अलग दर्शन दिए।
5/5 पांडव तालाब है मौजूद
तभी से पांचों शिवलिंग वहां मौजूद हैं और सामने नंदी भी विराजमान हैं। मंदिर में एक वर्गाकार चबूतरे पर पांचों शिवलिंग बने हुए हैं।
इस चबूतरे पर एक छोटा सा तालाब भी है, जिसे पांडव तालाब कहते हैं। श्रद्धालु पहले यहां हाथ-पैर धोते हैं फिर दर्शनकर पूजा-अर्चना करते हैं।
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