
इसमें भाग लेने के लिए विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भी आए हैं। महानिर्वाणि अखाड़े के परमहंस डॉ.अवधेशपुरी महाराज ने बताया अखाड़ों में यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है।
इस क्रिया में साधु वैशाख मास में अग्निदेवता की आराधना करते हैं। संकल्पित अनुष्ठान के अनुसार साधु आसपास 5 से लेकर 108 तक धुनी लगाते हैं। साधना करीब दो घंटे चलती है। अमूमन इसका समय सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक होता है।
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