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बुधवार, 11 सितंबर 2013

सरकार ने डॉक्टरों की मांगें मानी,हड़ताल स्थगित


भोपाल। राज्य शासन ने आंदोलनकारी चिकित्सकों की सभी मांगें मान ली है। इसके बाद चिकित्सकों ने आगामी 13 व 14 सितंबर की अपनी प्रस्तावित हड़ताल को वापस ले लिया है। ज्ञात हो कि हड़ताली चिकित्सकों ने राज्य शासन द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के नाम पर चलाए जा रहे अभियान का विरोध करते हुए गत रविवार को राजधानी में धरना दिया था। इन्होंने आगे भी हड़ताल की चेतावनी दी थी। चिकित्सकों के तीखे तेवरों को देखते हुए सरकार ने अपना रुख नरम हो गया।
अपनी मांगों को लेकर हड़ताली चिकित्सकों का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मिला था। बंद कमरे में करीब डेढ़ घंटे तक चली इस चर्चा के दौरान ही चिकित्सकों की तमाम मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आश्वासन स्वास्थ्य मंत्री ने दिया था। मंगलवार को एक बार चिकित्सक पुन: श्री मिश्रा से मिले और हड़ताल के अपने इरादों से अवगत कराया। इसके बाद शासन ने चिकित्सकों की तमाम मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए बीते तीन माह के दौरान निलंबित किए गए सभी 29 चिकित्सकों को तत्काल बहाल करने का निर्णय लिया। बताया जाता है कि सरकार शीघ्र ही शासकीय चिकित्सकों की निजी प्र्रेक्टिस पर लगी रोक भी हटा सकती है। इसके अलावा  चिकित्सकों की समयबद्व पदोन्नति व  अन्य मांगों का भी शीघ्र निराकरण किया जा सकता है।   दरअसल,चुनाव के ऐन मौके पर राज्य शासन किसी भी तबके को नाराज करने के पक्ष में नहीं है।
  स्वास्थ्य मंत्री से मिलने पहुंचे चिकित्सकों में डाक्टर्स एसोसिएशन के संरक्षक डा ललित श्रीवास्तव,  एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ अजय खरे प्रमुख रुप से मौजूद थे। इधर, विभाग के प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण  प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए उठाए गए कदम को सही ठहरा रहे हैं। ज्ञात हो कि श्री कृष्ण ने बीते तीन माह से अभियान चला कर प्रदेश की विभिन्न शासकीय अस्पतालों का निरीक्षण कर एवं गडबडी उजागर होने पर 29 चिकित्सकों को निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही शासकीय चिकित्सकों की निजी प्रेक्टिस पर भी सख्ती से रोक लगाई गई। इससे इन चिकित्सकों में खलबली मच गई। मध्यप्रदेश मेडिकल आॅफीसर्स एसोसिएशन के बैनर तले कल चिकित्सकों ने एक दिवसीय धरना भी दिया था। इसमें स्वास्थ्य विभाग के अलावा चिकित्सा शिक्षा विभाग के डॉक्टर भी शामिल हुए। चिकित्सकों की एकजुटता देख सरकार को अपने कदम वापस खींचने पडे जबकि बीते सप्ताह उसने एक लिखित आदेश जारी कर आगामी तीन माह के लिए चिकित्सकों की सेवाओं को अनिवार्य करते हुए उनके अवकाश पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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