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रविवार, 30 दिसंबर 2012

बलात्कार पीड़ित के लिए अमिताभ की कविता

31 दिसंबर,दिल्ली सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की की मौत पर जहां हर कोई गमजदा है, वहीं बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन ने अपने दुख को एक कविता में ढाला है.
समय चलते मोमबत्तियां, जल कर बुझ जाएंगी..
श्रद्धा में डाले पुष्प, जलहीन मुरझा जाएंगे..
स्वर विरोध के और शांति के अपनी प्रबलता खो देंगे..
किंतु निर्भयता की जलाई अग्नि हमारे हृदय को प्रज्जवलित करेगी..
जलहीन मुरझाए पुष्पों को हमारी अश्रु धाराएं जीवित रखेंगी...
दग्ध कंठ से 'दामिनी' की 'अमानत' आत्मा विश्व भर में गूंजेगी..
स्वर मेरे तुम, दल कुचल कर पीस न पाओगे..
मैं भारत की मां बहन या या बेटी हूं,
आदर और सत्कार की मैं हकदार हूं..
भारत देश हमारी माता है,
मेरी छोड़ो अपनी माता की तो पहचान बनो !!

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Ditulis Oleh : Janprachar.com Hari: 11:37 pm Kategori:

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