
शनिवार, 17 नवंबर, 2012 पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवादों को सुलझाने के लिए दोनों ही तरफ़ से 'नीयत' की ज़रूरत है.
हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में शिरकत कर रहे मुशर्रफ़ ने कहा कि भारत और पाकिस्तान सदियों साथ रहे हैं दोनों देशों के बीच भौगोलिक, ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक निकटता रही है लेकिन आज हालात ये हैं कि दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ़ खड़े हैं, आपसी विश्वास पूरी तरह टूट गया है और हम दुश्मन बन गए हैं.
एक पत्रकार ने ये पूछा कि अलक़ायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में पाकिस्तान नाकाम रहा या वह जानबूझ कर उन्हें छुपा रखा था.
परवेज़ मुशर्रफ का कहना था कि इस मामले में पाकिस्तान के खुफिया तंत्र से लापरवाही हुई है. ये सैन्य ग़लती नहीं थी बल्कि असलियत ये थी कि खुफिया एजेंसियाँ पता ही नहीं लगा पाईं.
उन्होंने इसे स्पष्ट करते हुए आगे कहा कि अलक़ायदा ने जब वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला किया तो दुनिया के सबसे मज़बूत अमरीकी खुफिया तंत्र को क्यों इसका पता नहीं चल सका.
चार विमान उड़े, अमरीकी वायु क्षेत्र में उन्होंने प्रवेश किया लेकिन सीआईए उसका पता क्यों नहीं लगा सकी. जिस तरह 11 सितंबर के हमले में सीआईए से ग़लती हुई शायद वैसी ही ग़लती ओसामा बिन लादेन के मामले में पाकिस्तानी ख़ुफिया एजेंसियों से हो गई.
'अच्छी नीयत का मजबूत समझौता चाहिए'
मुशर्रफ ने कहा कि 21वीं सदी जियोइकॉनॉमिक्स की है. हमें भविष्य के लिए एक दूसरे के साथ सहयोग का रास्ता अपनाना होगा. उन्होंने कहा, "आगे बढ़ने के लिए दोनों तरफ़ से अच्छी नीयत और मज़बूत इरादे के साथ किए गए समझौतों की ज़रूरत है."
"आगे बढ़ने के लिए दोनों तरफ़ से अच्छी नीयत और मज़बूत इरादे के साथ किए गए समझौतों की ज़रूरत है."
परवेज़ मुशर्रफ़, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति
मुशर्रफ ने कहा कि पाकिस्तान कई चरमपंथी संगठनों की गतिविधियों से परेशान है. अल क़ायदा, तालिबान, हिज्बुल मुजाहिदीन, लश्करे तैबा जैसे चरमपंथी संगठनों से लड़ने के मोर्चे पर दोनों देशों को अलग-थलग करके नहीं देखना होगा. ये एक साझा लड़ाई है.
भारत के बारे में जनरल मुशर्रफ़ ने कहा कि पाकिस्तान की तरह यहां भी चरमपंथी संबंध बढ़ रहा है. भारतीय युवा चरमपंथ की ओर आकर्षित हो रहे हैं. ये बात न भारत के लिए ठीक है और न पाकिस्तान के लिए.
आगे क्या हो
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान अगर अपने रिश्ते सुधारना चाहते हैं तो पुराने झगड़े भुलाने होंगे. झगड़े की सबसे बड़ी वजह कश्मीर समस्या का माकूल हल निकालना होगा और ये तभी संभव है जब नियंत्रण रेखा का विसैन्यीकरण कर दिया जाए, अधिक से अधिक स्वशासन दिया जाए और नियंत्रण रेखा को गैर ज़रूरी बना दिया जाए ताकि लोगों और सामान की आवाजाही आसानी से संभव हो सके.
उन्होंने कहा कि ये सब आज भी संभव है अगर नीयत ठीक हो.
मुशर्रफ ने सियाचीन, सरक्रीक, जल विवाद का हवाला देते हुए कहा कि ये सब समस्याएं सही नीयत के बल पर सुलझाई जा सकती हैं.

अल क़ायदा नेता ओसामा बिन लादेन को अमरीकी सेना ने मई 2001 में ऐबटाबाद में मार दिया था
उन्होंने कहा कि हम परमाणु क्षमता वाले राष्ट्र ज़रूर हैं लेकिन हम ट्रिगर बटन पर हाथ रखकर नहीं बैठे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि विवाद के मुद्दों पर राजनीति बंद होनी चाहिए, लोगों के बीच पीपुल टू पीपुल संपर्क बढ़ाया जाना चाहिए, वीज़ा नियमों को उदार बनाया जाना चाहिए, दोनों देशों के बीच संचार और परिवहन प्रणाली को ठीक किया जाना चाहिए और व्यापार को असल मायने में बढ़ाया जाना चाहिए.
ओसामा बिन लादेन
एक पत्रकार ने ये पूछा कि अलक़ायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में पाकिस्तान नाकाम रहा या वह जानबूझ कर उन्हें छुपा रखा था.
परवेज़ मुशर्रफ का कहना था कि इस मामले में पाकिस्तान के खुफिया तंत्र से लापरवाही हुई है. ये सैन्य ग़लती नहीं थी बल्कि असलियत ये थी कि खुफिया एजेंसियाँ पता ही नहीं लगा पाईं.
उन्होंने इसे स्पष्ट करते हुए आगे कहा कि अलक़ायदा ने जब वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला किया तो दुनिया के सबसे मज़बूत अमरीकी खुफिया तंत्र को क्यों इसका पता नहीं चल सका.
चार विमान उड़े, अमरीकी वायु क्षेत्र में उन्होंने प्रवेश किया लेकिन सीआईए उसका पता क्यों नहीं लगा सकी. जिस तरह 11 सितंबर के हमले में सीआईए से ग़लती हुई शायद वैसी ही ग़लती ओसामा बिन लादेन के मामले में पाकिस्तानी ख़ुफिया एजेंसियों से हो गई.From BBC Hindi news
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