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बुधवार, 14 नवंबर 2012

जमीन अधिग्रहण से क्षुब्ध महिला ने आत्महत्या की!


कटनी। मध्य प्रदेश के कटनी जिले में उद्योग के लिए जमीन अधिग्रहीत किए जाने से क्षुब्ध एक महिला ने आग लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। महिला, पहले ही आत्महत्या करने का प्रशासन को शपथ-पत्र दे चुकी थी। प्रशासन फिलहाल इस बात से इंकार कर रहा है कि महिला ने जमीन अधिग्रहण की वजह से आत्महत्या की है।
कटनी जिले की बरही तहसील में वेलस्पन कंपनी द्वारा बिजली संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। इसके लिए बुजबुजा व डोकरिया गांव के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इस अधिग्रहण से 230 किसान परिवार प्रभावित हो रहे हैं। इनमें से अधिकांश किसान जमीन देने को तैयार नहीं है। किसान अपने तरीके से चिता सत्याग्रह कर जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं।
इन दोनों गांव के कई किसान शपथ पत्र देकर आत्महत्या करने की पहले ही चेतावनी दे चुके हैं। बीती रात इन्हीं में से एक छक्का गडरिया की पत्नी सुनिया बाई ने मंगलवार को डोकरिया गांव में अपने घर पर आग लगाकर जान दे दी। सुनिया बाई की अन्य लोगों के साथ संयुक्त सहदारी में जमीन है। इसमें से 1.79 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की जा चुकी है, मगर इन किसानों ने मुआवजे का 18 लाख रुपये का चैक अब तक नहीं लिया है।
सुनिया के परिजनों का कहना है कि वह जमीन अधिग्रहण को लेकर पिछले लम्बे अरसे से परेशान थी और हताश भी थी। इसी के चलते उसने आत्महत्या जैसा कदम उठाया है। वह आत्महत्या की पहले ही चेतावनी दे चुकी थी। बरही तहसील के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) विनय जैन ने बुधवार को बताया कि बीते एक साल से अधिग्रहण की कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सुनिया बाई का छोटा बेटा जो 12 साल का है खाना बनाते समय आग लगने की बात कह रहा है, मगर बड़ा बेटा चुप है। लिहाजा महिला की मौत संदिग्ध है।
डोकरिया व बुजबुजा गांव में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ लम्बे अरसे से किसान आंदोलनरत हैं। किसानों ने खेतों में चिता बना रखी है ओर अधिग्रहण होने पर पूरे परिवार सहित चिता पर ही आत्महत्या करने की चेतावनी दे रहे हैं। बिजली संयंत्र के लिए जमीन अधिग्रहीत किए जाने के खिलाफ बीते दिनों जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव भी बुजबुजा व डोकरिया गांव के किसानों के समर्थन में प्रदर्शन कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर जबरिया जमीन अधिग्रहीत की गई तो वह किसानों के साथ संघर्ष करेंगे।
कटनी में जमीन अधिग्रहण के मसले पर किसान व प्रशासन आमने-सामने खड़ा नजर आ रहा है। प्रशासनिक अमले ने जब भी जमीन अधिग्रहण की कोशिश की उसे विषम हालात का सामना करना पड़ा। किसान गांव तक जाने के रास्ते को खोद देते हैं और रास्ते में पेड़ आदि डालकर रोक देते हैं। पिछले सप्ताह प्रशासनिक अफसरों को कई किलोमीटर पैदल तक चलना पड़ा था। किसानों का आक्रोश प्रशासन व कंपनी के लिए मुसीबत का सबब बन गया है।news from IBN KHABAR with courtesy

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