
दरअसल 40 साल बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची भारत पहुंचीं। भारत से सू ची का रिश्ता पुराना है, यहां उनका बचपन बीता है। 60 के दशक में जब उनकी मां भारत में बर्मा की राजदूत थीं, तब उन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में की। भारत ने दशकों तक म्यांमार के सैन्य हुकूमत से संबंध बनाए रखा जिससे पश्चिमी मुल्क नाता तोड़ चुके थे। लेकिन आंग सान सू ची सलाखों के पीछे तो कभी घर में नजरबंद होकर भी लोकतंत्र के लिए लड़ती रहीं। ऐसे में भारत सू ची के शानदार स्वागत की तैयारियां तो कर रहा है लेकिन कूटनीतिक मोर्चे पर संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है।
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