मध्यप्रदेश सरकार ने शून्य ब्याज दर पर कृषि ऋण मुहैया कराने की घोषणा कर एक बार फिर किसानों को दिल जीतने की क ोशिश की है। सरकार के इस फै सले से खाद-बीज के लिए साल-छह महीने का कर्ज लेने वाले किसान •ाले ही राहत महसूस करें लेकिन खेती के कारोबार से जुड़Þा एक बड़Þा वर्ग सरकार की इस दरियादिली से वंचित है। यह वह तबका है जो खेती के कामकाज के लिए केंद्र की किसान क्रे डि़ट काडऱ् योजना अंतर्गत राष्ट्रीयकृत बैंक से कर्ज लेता है। एक ओर सहकारी संस्थाओं से जुड़Þे सदस्य किसानों का लगातार ला•ाान्वित होना ,दूसरी ओर दीगर किसानों की उपेक्षा। इस पक्षपात पूर्ण कार्यशैली ने सरकार के किसान हितैषी होने के दावे की कलई खोल दी है। वहीं उसकी इस नई घोषणा को सहकारी संस्थाओं के आसन्न चुनाव से जोड़Þ कर देखा जा रहा है।
रायसेन जिले के अमोदा निवासी बारेलाल सीमांत कृषक है। अपनी निजी जरूरत के लिए चार साल पहले किसान के्रडिट कार्र्ड योजना के तहत औबेदुल्लागंज विकासखंड मुख्यालय के एक राष्टÑीयकृत बैंक से चालीस हजार का कर्ज लिया। ईमानदारी से कर्ज अदायगी किए जाने पर उसे केंद्र की ऋण माफी योजना का ला•ा नहीं मिल सका। बारेलाल अपने ही गांव के ही एक अन्य किसान रामगोपाल की तरह •ााग्यशाली •ाी नहीं है जिसने इसी योजना के तहत जिले की एक सहकारी बैंक से कृषि ऋण लिया और उसे पहले साल पांच प्रतिशत की ब्याज दर अदा करनी पड़ी । इसके बाद के सालों में तीन प्रतिशत और एक प्रतिशत । राज्य शासन की नई योजना लागू हुई तो उसे आने वाले साल में शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज मिलेगा। एक ही गांव के दो किसानों के साथ इस तरह का •ोद•ााव केवल अमोदा में ही नहीं प्रदेश •ार में हो रहा है। खेती को कथित तौर पर ला•ा का धंधा बनाने के नाम पर राज्य सरकार ने बीते पांच सालों में सहकारी वित्तीय संस्थाओं से जुड़Þे किसानों के कर्ज पर उक्त क्रम बद्ध तरीके से ब्याज दर में राहत दी ,लेकिन संख्या में अधिक होने के बाद राष्टÑीयकृत बैंक के कजर्दार किसानों को क•ाी सुध नहीं ली गइ। इसके उलट वर्ष 2008 में केंद्र सरकार द्वारा पचास हजार रुपए तक के कर्ज माफ किए जाने पर वि•िान्न जिलों में एक अरब रुपए से ज्यादा का घोटाला सामने आया। हैरत की बात यह, कि किसानों के नाम पर किए गए इस घोटाले के लिए सरकार ने दोषी लोकसेवकों के खिलाफ कोई ठोस कारर्वाई नहीं की। बहरहाल,केसीसी योजना के तहत कर्ज लेने वाले ज्यादातर किसानों को न चार साल पहले कोई राहत मिल सकी न बाद में। वे अब •ाी लिए गए कर्ज पर सात से आठ फीसदी की ब्याज दर अदा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सहकारी समितियों व दीगर सहकारी वित्तीय संस्थाओं के ऋणी किसान को ब्याज दर पर छूट का ला•ा मिलता रहा है।
शून्य प्रतिशत ब्याज दर
देश में रासायनिक खाद के दाम बढ़ने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने इसका खुल कर विरोध किया। यही नहीं, उन्होंने गत दिनों राजधानी में एक दिन का उपवास कर इस मुद्दे को राजनैतिक रंग •ाी दे डाला। उपवास के समापन मौके पर उन्होंने सहकारी संस्थाओं से जुडेÞ किसानों को खाद-बीज खरीदी पर साल-छह महीने के लिए जाने वाले कर्ज को ब्याज मुक्त करने का ऐलान •ाी कर दिया। इस घोषणा से सरकार पर करीब 70 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेÞगा। योजना के मुताबिक सरकार जरूरतमंद किसानों को लग•ाग 85 सौ करोड़ रुपए का कर्ज मुहैया कराएगी। पिछली घोषणा के अनुसार एक प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराने के लिए राज्य शासन ने मौजूदा साल के बजट में 350 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। ब्याज दर शून्य किए जाने पर सरकार को 70 करोड़ रुपए अतिरिक्त जुटाने होंगे। इसके लिए ब्याज की आधार दर कम करने के आसार हैं। मसलन,कृषि ऋण के लिए ब्याज की आधार दर 11 प्रतिशत है। एक प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज दिए जाने की स्थिति में शेष का साढ़े चार फीसदी केंद्र व बाकी राज्य शासन द्वारा अदा किया जाता है। ब्याज दर शून्य होने की स्थिति में राज्य शासन को साढे छह प्रतिशत की दर से ब्याज की रकम अदा करनी होगी।
32 लाख किसान कर्जदार
नेशनल सेम्पल सर्वे आर्गेनाइजेशन द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, प्रदेश में करीब 32 लाख किसान कर्जदार हैं। किसान के्रडिट कार्र्ड योजना शुरू होने के बाद कर्ज लेने वाले किसानों की तादाद और तेजी से बड़ी। योजना में ऋण की उपयोगिता की निगरानी नहीं होने से कर्ज लेने वाले ज्यादातर किसान उन्हें मिले कर्ज का उपयोग निजी जरूरत के गैर कृषि कार्यों में कर रहे हैं। इससे उनकी खेती का विकास तो हुआ नहीं, बैंक के कर्जदार अलग हो गए। योजना में बिना जमानत ऋण की सुविधा नहीं होने से ज्यादातर किसानों की जमीन के कागजात बैंकों में गिरवी रखे हुए हैं। इसके चलते संबंधित कृषि •ाूमि के बंटवारे,नामांतरण व दीगर कामकाज •ाी समय पर नहीं हो पाते। एक सर्वेक्षण के मुताबिक, प्रदेश में हर किसान पर औसतन 14 हजार218 रुपए का कर्ज है। कर्ज मिलने की बैंकों की जटिल प्रक्रिया व वसूली के लिए अमानवीय बर्ताव से अनेक किसान अब •ाी कर्ज के लिए गैर सरकारी स्त्रोतों अर्थात साहूकारी प्रथा पर आश्रित हैं। राज्य के लग•ाग 64 लाख किसानों में से तीस फीसदी सीमांत या लघु किसान की श्रेणी में आते हैं व पचास फीसदी से ज्यादा संस्थागत कर्ज के दायरे में हैं। इस तथ्य को स्वयं सहकारिता मंत्री गौरीशंकर चतुर्•ाुज बिसेन सदन में स्वीकार कर चुके हैं। किसानों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए राज्य में साहूकारी अधिनियम •ाी लागू किया गया,लेकिन इसके लचर क्रियान्वयन से किसानों को कर्ज वसूली के लिए साहूकारों के अमानवीय बर्ताव से निजात नहीं मिल सकी। यह कर्ज ऐसा है जो उन्हें चैन से जीने नहीं देता।यही बजह है कि प्रदेश में बीते एक दशक के दौरान किसानों की आत्महत्याओं के मामले तेजी से बढेÞ। राष्टÑीय अपराध अ•िालेख ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि बीते एक दशक में राज्य में दो हजार से अधिक किसानों ने असमय मौत को गले लगाया।
कर्ज माफी से इंकार
अपने पिछले चुनावी घोषणा पत्र में किसानों के पचास हजार रुपए तक का कर्ज माफ करने का सत्तारूढ़ दल का एलान महज चुनावी साबित हुआ। विपक्ष जब-तब इस मुद्दे पर सरकार को आढ़े हाथों लेते रहा है। विधानस•ाा के बीते बजट स़त्र में •ाी यह बिंदु चर्चा का विषय रहा । हाल ही में शून्य ब्याज दर पर कर्ज देने की घोषणा पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ड़ॉ गोविंद सिंह ने •ााजपा सरकार से अपने चुनावी वायदे पर अमल करने की मांग दोहराई। वहीं राज्य सरकार लगातार अपनी ही पार्टी की इस घोषणा को झुठलाती रही है। बीते सत्र में सहकारिता मंत्री श्री बिसेन व उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार ने 50 हजार रुपए की कर्ज माफी का क•ाी कोई औपचारिक एलान नहीं किया।
रायसेन जिले के अमोदा निवासी बारेलाल सीमांत कृषक है। अपनी निजी जरूरत के लिए चार साल पहले किसान के्रडिट कार्र्ड योजना के तहत औबेदुल्लागंज विकासखंड मुख्यालय के एक राष्टÑीयकृत बैंक से चालीस हजार का कर्ज लिया। ईमानदारी से कर्ज अदायगी किए जाने पर उसे केंद्र की ऋण माफी योजना का ला•ा नहीं मिल सका। बारेलाल अपने ही गांव के ही एक अन्य किसान रामगोपाल की तरह •ााग्यशाली •ाी नहीं है जिसने इसी योजना के तहत जिले की एक सहकारी बैंक से कृषि ऋण लिया और उसे पहले साल पांच प्रतिशत की ब्याज दर अदा करनी पड़ी । इसके बाद के सालों में तीन प्रतिशत और एक प्रतिशत । राज्य शासन की नई योजना लागू हुई तो उसे आने वाले साल में शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज मिलेगा। एक ही गांव के दो किसानों के साथ इस तरह का •ोद•ााव केवल अमोदा में ही नहीं प्रदेश •ार में हो रहा है। खेती को कथित तौर पर ला•ा का धंधा बनाने के नाम पर राज्य सरकार ने बीते पांच सालों में सहकारी वित्तीय संस्थाओं से जुड़Þे किसानों के कर्ज पर उक्त क्रम बद्ध तरीके से ब्याज दर में राहत दी ,लेकिन संख्या में अधिक होने के बाद राष्टÑीयकृत बैंक के कजर्दार किसानों को क•ाी सुध नहीं ली गइ। इसके उलट वर्ष 2008 में केंद्र सरकार द्वारा पचास हजार रुपए तक के कर्ज माफ किए जाने पर वि•िान्न जिलों में एक अरब रुपए से ज्यादा का घोटाला सामने आया। हैरत की बात यह, कि किसानों के नाम पर किए गए इस घोटाले के लिए सरकार ने दोषी लोकसेवकों के खिलाफ कोई ठोस कारर्वाई नहीं की। बहरहाल,केसीसी योजना के तहत कर्ज लेने वाले ज्यादातर किसानों को न चार साल पहले कोई राहत मिल सकी न बाद में। वे अब •ाी लिए गए कर्ज पर सात से आठ फीसदी की ब्याज दर अदा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सहकारी समितियों व दीगर सहकारी वित्तीय संस्थाओं के ऋणी किसान को ब्याज दर पर छूट का ला•ा मिलता रहा है।
शून्य प्रतिशत ब्याज दर
देश में रासायनिक खाद के दाम बढ़ने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने इसका खुल कर विरोध किया। यही नहीं, उन्होंने गत दिनों राजधानी में एक दिन का उपवास कर इस मुद्दे को राजनैतिक रंग •ाी दे डाला। उपवास के समापन मौके पर उन्होंने सहकारी संस्थाओं से जुडेÞ किसानों को खाद-बीज खरीदी पर साल-छह महीने के लिए जाने वाले कर्ज को ब्याज मुक्त करने का ऐलान •ाी कर दिया। इस घोषणा से सरकार पर करीब 70 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेÞगा। योजना के मुताबिक सरकार जरूरतमंद किसानों को लग•ाग 85 सौ करोड़ रुपए का कर्ज मुहैया कराएगी। पिछली घोषणा के अनुसार एक प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराने के लिए राज्य शासन ने मौजूदा साल के बजट में 350 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। ब्याज दर शून्य किए जाने पर सरकार को 70 करोड़ रुपए अतिरिक्त जुटाने होंगे। इसके लिए ब्याज की आधार दर कम करने के आसार हैं। मसलन,कृषि ऋण के लिए ब्याज की आधार दर 11 प्रतिशत है। एक प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज दिए जाने की स्थिति में शेष का साढ़े चार फीसदी केंद्र व बाकी राज्य शासन द्वारा अदा किया जाता है। ब्याज दर शून्य होने की स्थिति में राज्य शासन को साढे छह प्रतिशत की दर से ब्याज की रकम अदा करनी होगी।
32 लाख किसान कर्जदार
नेशनल सेम्पल सर्वे आर्गेनाइजेशन द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, प्रदेश में करीब 32 लाख किसान कर्जदार हैं। किसान के्रडिट कार्र्ड योजना शुरू होने के बाद कर्ज लेने वाले किसानों की तादाद और तेजी से बड़ी। योजना में ऋण की उपयोगिता की निगरानी नहीं होने से कर्ज लेने वाले ज्यादातर किसान उन्हें मिले कर्ज का उपयोग निजी जरूरत के गैर कृषि कार्यों में कर रहे हैं। इससे उनकी खेती का विकास तो हुआ नहीं, बैंक के कर्जदार अलग हो गए। योजना में बिना जमानत ऋण की सुविधा नहीं होने से ज्यादातर किसानों की जमीन के कागजात बैंकों में गिरवी रखे हुए हैं। इसके चलते संबंधित कृषि •ाूमि के बंटवारे,नामांतरण व दीगर कामकाज •ाी समय पर नहीं हो पाते। एक सर्वेक्षण के मुताबिक, प्रदेश में हर किसान पर औसतन 14 हजार218 रुपए का कर्ज है। कर्ज मिलने की बैंकों की जटिल प्रक्रिया व वसूली के लिए अमानवीय बर्ताव से अनेक किसान अब •ाी कर्ज के लिए गैर सरकारी स्त्रोतों अर्थात साहूकारी प्रथा पर आश्रित हैं। राज्य के लग•ाग 64 लाख किसानों में से तीस फीसदी सीमांत या लघु किसान की श्रेणी में आते हैं व पचास फीसदी से ज्यादा संस्थागत कर्ज के दायरे में हैं। इस तथ्य को स्वयं सहकारिता मंत्री गौरीशंकर चतुर्•ाुज बिसेन सदन में स्वीकार कर चुके हैं। किसानों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए राज्य में साहूकारी अधिनियम •ाी लागू किया गया,लेकिन इसके लचर क्रियान्वयन से किसानों को कर्ज वसूली के लिए साहूकारों के अमानवीय बर्ताव से निजात नहीं मिल सकी। यह कर्ज ऐसा है जो उन्हें चैन से जीने नहीं देता।यही बजह है कि प्रदेश में बीते एक दशक के दौरान किसानों की आत्महत्याओं के मामले तेजी से बढेÞ। राष्टÑीय अपराध अ•िालेख ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि बीते एक दशक में राज्य में दो हजार से अधिक किसानों ने असमय मौत को गले लगाया।
कर्ज माफी से इंकार
अपने पिछले चुनावी घोषणा पत्र में किसानों के पचास हजार रुपए तक का कर्ज माफ करने का सत्तारूढ़ दल का एलान महज चुनावी साबित हुआ। विपक्ष जब-तब इस मुद्दे पर सरकार को आढ़े हाथों लेते रहा है। विधानस•ाा के बीते बजट स़त्र में •ाी यह बिंदु चर्चा का विषय रहा । हाल ही में शून्य ब्याज दर पर कर्ज देने की घोषणा पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ड़ॉ गोविंद सिंह ने •ााजपा सरकार से अपने चुनावी वायदे पर अमल करने की मांग दोहराई। वहीं राज्य सरकार लगातार अपनी ही पार्टी की इस घोषणा को झुठलाती रही है। बीते सत्र में सहकारिता मंत्री श्री बिसेन व उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार ने 50 हजार रुपए की कर्ज माफी का क•ाी कोई औपचारिक एलान नहीं किया।
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