sponsor

सोमवार, 9 नवंबर 2015

हॉट-शॉट-9


कड़की में प्रदेश-आखिरकार राज्य सरकार ने  स्वीकार कर ही लिया कि प्रदेश आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है और नए वित्तीय वर्ष से पहले हालात सुधरने के आसार भी नहीं है। दरअसल,यह बात स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  धार जिले के उज्जैनी में एक निजी कंपनी के भूमि पूजन समारोह में कही। यह वही उज्जैनी है जहां साढ़े चार सौ करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर पाइप लाइनों के जरिए  नर्मदा का शिप्रा से मिलन कराया गया। बहरहाल,हुआ यूं कि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की मौजूदगी का फायदा उठाते हुए क्षेत्रीय विधायक नीना वर्मा ने जिले के लंबित विकास कार्यों की फे हरिस्त पढ़ कर सुनाई। इस पर मुख्यमंत्री को कहना पड़ा कि सरकार फिलहाल कड़की में हैं। अभी किसानों को पैसा दिया जाएगा। दूसरे कामों के लिए अप्रैल में जारी होने वाले बजट के बाद राशि देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटे काम तो हो जाएंगे, लेकिन बड़े प्रोजेक्ट बजट के बाद ही मंजूर होंगे। 

कैसे हो बूथ मैनेज? मध्यप्रदेश भाजपा का बूथ मैनेजमेंट सिस्टम बिहार में फेल रहा। बूथ में कार्यकर्ताओं से लेकर मतदाताओं तक को व्यवस्थित रखने व अंदर ईवीएम को भी नियंत्रण में रखने में माहिर प्रदेश संगठन की एक पूरी फौज को काफी पहले वहां तैनात कर दिया गया था,लेकिन न मशीनों से साथ दिया न मतदाताओं पर  ही धर्म-कर्म का कोई असर हुआ। चुनाव से पहले भागवत कथाओं के आयोजन बिहार में भी जगह-जगह हुए लेकिन बिहारियों को तो आस्था ही जैसे जड़वत होकर रह गर्इं। पड़ौसी राज्य में हर दांव फेल होने के बाद प्रदेश इकाई को अब रतलाम-देवास की चिंता सता रही है। बिहार के चुनाव परिणामों का असर कहीं इन दोनों सीटों पर पड़ा तो पार्टी को प्रदेश में अपना ही रिकार्ड टूटना तय है। 

 इस हाथ दे,उस हाथ ले। यह कहावत संभवतया लेनदेन का हिसाब तत्काल पूरा करने को लेकर गढ़ी गई होगी। अब भाजपा   सरकार को यूं भी महाजनों व व्यापारियों की सरकार माना जाता है। बात कुछ हद तक सही भी है। अब केन्द्र सरकार को ही लीजिए,संभवतया यह पहला मौका है जब केंद्र सरकार सोने का कारोबार करने जा रही हो। धनतेरस के ऐन पहले किसी ट्रेडर्स की तरह सोने के सिक्के जारी किए गए। सोना दो,ब्याज लो। इधर,प्रदेश सरकार भी केंद्र के नक्शे कदम पर है। प्याज के दाम आसमां छू गए लेकिन क्या मजाल कि प्रदेश में एक भी जमाखोर पर कार्रवाई हुई हो। दाल के मामले में तो केंद्र क ा फरमान होने से मजबूरी थी,फिर भी जितना बन पड़ा जमाखोरों की मदद ही की। पहले तीन दिन की मोहलत दी फिर स्टॉक की लिमिट बढ़ा कर दोगुनी कर दी। दस बीस रुपए किलो के भाव कम होते ही हल्ला मचना बंद हुआ  तो सरकार भी हाथ पर हाथ धर कर बैठ गई। न जब्त दाल बाजार में आई , न रेट पुरानी दर पर लौटे। इधर, किसानों को राहत देने के लिए अनुपूरक बजट आया नहीं कि इससे पहले ही पेट्रोल-डीजल पर प्रति लीटर वेट लगाने का नियम पास करवा कर रख लिया। जब दिल चाहेगा उल्टे हाथ से वसूली शुरु हो जाएगी। हो गया हिसाब बराबर। किसान भी खुश और वित्त के अधिकारी भी।

ग्राफ घटाने की राजनीति -राजनीति भी क्या खूब है। पद पाने के लिए तरह-तरह के पापड़ बेलने पड़ते हैं। सत्तारुढ़ दल से जुड़े शहर के विधायक रामेश्वर शर्मा जी को ही लीजिए। भाग्य के धनी शर्मा ने दो दशक की राजनीति में ही वो  मुकाम हॉसिल कर लिया जो कई लोगो उम्रदराज होने पर भी नहीं कर सके,लेकिन उनकी राह में कांटे बोने वालों की भी कमी नहीं है। औरों को पीछे छोड़ मुख्यमंत्री से इनकी नजदीकी और संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में नाम की चर्चा क्या चली । पहले एक सीईओ से बातचीत का आॅडियो टेप उजागर हो गया। मामला इतना तूल पकड़ा कि शर्माजी को  माफी मांग कर मामला रफा दफा करवाना पड़ा। लेकिन इस एपिसोड में उनका ग्राफ सेंसेक्स की तरह  नीचे आ गया। गुरुवार को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र के बहाने एक बार फिर शर्मा जी ने सरकार की जोरदार पैरवी कर अपने नंबर बढ़वाने की कोशिश की तो शाम को ही एक और धमाकेदार आडियो बाजार में आ गया। इस दूसरे आडियो में तो विधायक जी की गुप्त बातें उजागर करने के  संंकेत भी दिए गए।  अब समइ-ादार को इशारा काफी वर्ना एक आम आदमी की क्या मजाल जो रुतबेदार विधायक से इस कदर बेखौफ  बाते करें और फिर इसे टेप कर जगजाहिर भी कर दे। वैसे इतना बता दे कि ग्राफ घटाने की इस राजनीति में कोई एक नहीं वे सब साथ-साथ हैं। जिन्हें आप येन-केन तरीकों से मात देकर पीछे छोड़ आए।
    
डॉयल100 का कमाल-प्रदेश सरकार लाख जतन कर ले लेकिन बीते छह दशकों में भ्रष्टाचार का  आदी हो चुका मैदानी अमला अपने कामकाज में सुधार लाने को राजी नहीं। अब पुलिस की डायल 100 सेवाओं को ही लीजिए,तीन दिन पहले ही सेवा शुरु हुई,सरकार का मकसद आम आदमी को  पुलिस की सेवाएं तत्परता से सुलभ कराने का है। इसी इरादे से हजार मोबाइल वैन खरीद कर पुलिस कर्मियों को थमाई गई,लेकिन अब पुराने जमाने की जीपों में ही सवारी कर पाए पुलिस कर्मी आधुनिक किस्म का लग्जरी वाहन मिलते ही फर्राटे भरने लगे। एक ने उद्घाटन से पहले ही बैरागढ़ में एक युवती को कुचलकर स्वर्ग पहुंचा दिया। तो सागर पुलिस के जवानों ने इसे ट्रक व रेत डंपर वालों से अवैध वसूली का जरिया बना लिया। मंगलवार को ऐसी ही एक शिकायत डॉयल 100 पर ही मिलने पर पुलिस महानिदेशक सुरेंद्र सिंह ने सागर सिविल लाइन थाने के टीआई हिमांशु चौबे, हवलदार मुन्नालाल पटेल को निलंबित व आरक्षक भूपेंद्र का बर्खास्त करने का फरमान सुनाया। पुलिस के रवैए से वाकिफ लोगो का मानना है कि अभी तो तीन दिन ही हुए आगे-आगे देखिए होता है क्या?

 मंत्री की यह कैसी सुरक्षा? पशुपालन मंत्री कुसुम मेहदेले के लात मारू प्रकरण को लेकर बीते तीन दिनों से प्रदेश में खासा बवाल मचा हुआ है,लेकिन इस सबके बीच विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। मंत्री की लात खाने वाला बच्चा मदहोश था या होश में यह तो आगे की जांच का विषय है। असल सवाल यह कि पुलिस अधीक्षक से लेकर तमाम सुरक्षा अमला वहां मौजूद होने के बाद भिखारी बच्चा मंत्री तक कैसे पहुंच गया? गनीमत रही कि वह भीख मांगने वाला एक बच्चा ही था,उसक ी जगह यदि मंत्री से रंजिश रखने वाला या प्रदेश में अशांति फैलाने वाला कोई व्यक्ति होता तब। जो मंत्री के पैरो तक पहुंच सकता है उसके लिए मंत्री को टारगेट करना कहां मुश्किल होता। अब पुलिस अधीक्षक कह रहे हैं कि लात कांड के दौरान वह किसी एडीजी से फोन पर चर्चा में मशगूल थे। इसके चलते उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया। जब एसपी के यह हाल है तो उनके मातहत सुरक्षा को लेकर कितने चौकस रहे होंगे। घटना तो इस तथ्य को उजागर कर ही रही है,पुलिस मुख्यालय व शासन को सुरक्षा के इस बिंदु पर भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत शायद पड़े। पूर्ववर्ती दिग्विजय सिंह सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन गृहराज्य मंत्री लिखीराम क ांवरे इसी तरह की लापरवाही का शिकार बन चुके हैं। तब मौजूदा पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय के गुप्तवार्ता प्रभाग में कानून एवं व्यवस्था शाखा की कमान संभाले हुए थे। 

​पहाड़े ने बताई हकीकत-प्रदेश में स्कूल शिक्षा को लेकर जितने नवाचार हुए शायद ही किसी अन्य विभाग ने इतने प्रयोग किए हुए हों,बावजूद इसके प्रदेश की स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं आ सका। राज्य शासन ने मुख्यालय स्तर पर बेहतर अधिकारियों की पदस्थापनाएं कर विभाग को सुधारने के लाख जतन किए लेकिन मैदानी अमला है कि सुधरने को राजी नहीं। इस हकीकत से सोमवार को विभाग के मंत्री पारस जैन को भी रूबरू होना पड़ा। हुआ यूं कि श्री जैन सोमवार का ग्वालियर दौरे पर थे। इस दौरान वह विभागीय अधिकारियों को बिना बताए गिरगांव के शासकीय स्कूल में पहुंच गए। 

मंत्री को अचानक अपने बीच पाकर शाला में मौजूद एक मात्र शिक्षक शिवपाल सिंह की तो जैसे सांसे ही अटक गई। बच्चों के ज्ञान परखने की बारी आने पर विद्यालय की छात्राओं ने साफ कह दिया कि उन्हें कोई पहाड़े नहीं आते। एक छात्रा बमुश्किल ५ का पहाड़ा सुना पाई। शाला में पदस्थ शिक्षकों के बारे में पूछताछ पर पता चला कि एक शिक्षक बिना बताए गायब है जबकि दो अन्य दूसरी विधानसभा क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मंत्री जी भी माथा पकड़ कर रह गए। बहरहाल गैरहाजिर को सस्पेंड किया।मौके पर हाजिर मिले को केवल शोकॉज नोटिस दिलवाने के साथ ही उसे ठीक से पढ़ाने की नसीहत दी। मंत्री जी ने दूसरे स्कूलों में पहुंचकर मध्यान्ह भोजन का स्वाद लिया तो योग का करतब दिखाने वाली छात्राओं को सम्मानित कर अपने एक सहयोगी मंत्री द्वारा पन्ना में कराई गई जगहंसाई वाले कारनामे पर पर्दा डालने का प्रयास किया। 

​आयएएस बनने की तमन्ना-संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में फिसड्डी रहे राज्य सेवा के कुछ अधिकारी पिछले रास्ते से आयएएस बनने को इतने आतुर हैं कि उन्हें अपने दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करने से भी गुरेज नहीं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की पकड़ में आया है। मंत्रालय ने राज्य शासन को पत्र लिख कर इस मामले में वास्तविकता का खुलासा करने को कहा है। मामला नगरीय प्रशासन विभाग के उप संचालक राजीव निगम का है। बताया जाता है कि निगम ने आयएएस बनने की तैयारी बहुत पहले से कर ली थी। वर्ष 2005से 2010के बीच भोपाल नगर पालिक निगम में पदस्थ रहते हुए उन्होंने अपनी गोपनीय चरित्रावली आयुक्त की बजाए राज्य शासन के एक वरिष्ठ मंत्री ने लिखवाई। 

खास बात यह है कि इस कारनामे को अंजाम देने के लिए निगम की पदस्थापना  मंत्री स्टाफ में होना व अपने कार्य को राप्रसे के समकक्ष बता डाला।  अब सीआर लिखवाने के लिए निगम बाबू ने मंत्री जी के लिए क्या-क्या नहीं किया होगा,और मंत्री जी भी कैसे? राप्रसे के इस अधिकारी की महत्वकांक्षा देखिए कि पुरानी सीआर में भी व्हाइटनर लगाकर छेड़छाड़  कर डाली,यानी अपनी सीआर खुद ही लिखने बैठ गए। हैरत की बात यह कि ऐसे तिकड़मबाज अफसर को आयएएस बनाने का प्रस्ताव राज्य शासन ने  भी  दिल्ली भिजवा दिया। अब ऐसे अधिकारी यदि आयएएस बन कर किसी जिले के कलेक्टर बन बैठे तो उस जिले का तो फिर भगवान ही मालिक है। 

 मोबाइल ने बढ़ाया स्तर-गरीबी रेखा के भी मापदंड बड़े अजीब है,ठीक आरक्षण की तरह। सामान्य वर्ग का व्यक्ति भले ही दो वक्त की रोटी को मोहताज हो लेकिन आरक्षण का लाभ उसे नहीं मिल सकता। ठीक यह स्थिति गरीबी रेखा के मापदंडों में है। यदि कोई गरीब मोबाइल का इस्तेमाल करता है तो उसे इस रेखा के ऊपर ही माना जाएगा। मासिक आय 565 रुपए से ज्यादा यानि रोजाना की 18रुपए 80पैसे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अब कोई नियम बनाने वालों से पूछे कि एक दिन में महज 19रुपए कमाने वाला क्या खाक र जिएगा। इस रेखा का एक और बिंदु मजेदार है। मकान खुद को हो चलेगा,लेकिन उसका हर हिस्सा कच्चा होना चाहिए। कहीं एक किग्रा भी सीमेंट लगी मिली कि व्यक्ति को रेखा से ऊपर उठा ही मानो। पहले किसी तरह जोड़तोड़ कर ऐसे लोग इस रेखा के नीचे आ ही जाते थे,लेकिन समग्र आईडी व आधार में दर्ज कराई गई आॅनलाइन जानकारी ने अब यह सुविधा भी छीन ली है। 

कदाचरण की मार-कहावत है,कि गरीब की आह खाली नहीं जाती। न्याय की आस में न्यायायल  पहुंचा हर एक शख्स ‘गरीब’ ही तो है। अन्याय होने पर उसके  दिल से निकली बद् दुआएं भला तो कर नहीं सकतीं। कुछ यही उन बर्खास्त शुदा चार जजों के साथ भी हुआ जिन्होंने धन के मोह में पद की गरिमा का भी ख्याल नहीं रखा। कई योग्य लोगो का हक छीन कर दूसरे अपात्रों को मुकाम दिलाने वाले व्यापमं महाघोटोले के आरोपियों को भी जमानत देने में कोताही नहीं बरती। बात छिपने से रही। मामला हाईकोर्ट बिजिलेंस तक पहुंचा तो फुल कोर्ट मीटिंग बुलाकर फै सला लिया गया।

 कभी दूसरे आरोपियों को सजा सुनाने वाले खुद आरोपी की तरह पेश हुए और जब फैसल आया तो चारों न्यायाधीशों को बर्खास्त कर दिया गया। यह हैं मोहम्मद हुसैन अंसारी, अपर सत्र न्यायाधीश, सोहागपुर (होशंगाबाद),चंद्र प्रकाश वर्मा, अपर सत्र न्यायाधीश, ब्यौहारी (शहडोल)एरूप सिंह अलावा, अपर सत्र न्यायाधीश, जोबट (अलीराजपुर) तथा जगतमोहन चतुवेर्दी, अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश, बालाघाट। वहीं एक अन्य सुरेश कुमार आरसे सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश, जबलपुर को अपर सेवानिवृति दे दी गई।     
                                                                            रवि अवस्थी ,भोपाल 

Its a Gossip coloumn,pls.don't mind if its related with you.
                                                    For More detail click on www.janprachar.comhttp://janprachar.com/news/2015/11/9-hot-shot.html
                                                                                         

ads

Ditulis Oleh : Janprachar.com Hari: 10:06 am Kategori:

Entri Populer