हम आपको एक ऐसी जड़ी-बूटी की जानकारी दे रहे हैं। जिसे देसी वियाग्रा से कम नहीं माना जाता। पुरुष इसका प्रयोग कर अपनी सेक्स क्षमता को बढ़ाते हैं। लेकिन रोचक बात तो यह है कि इस देशी वियाग्रा की जानकारी भारत में शायद ही किसी को है। हिमालयी क्षेत्रों में तीन हजार से पांच हजार मीटर की ऊंचाई के बर्फीले पहाड़ों में पाई जाने वाली देशी वियाग्रा की चीन में भारी मांग है, जिसके चलते निर्वासित तिब्बती इसके बड़े कारोबार के साथ जुड़े हुए हैं। इसका प्रयोग स्ट्रोक डैमेज कंट्रोल एवं किडिनी फेलियर बीमारियों के उपचार में भी होता है। सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश के भी कुछेक इलाके में जड़ी-बूटी के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। लेकिन इसके वास्तवीक गुण को लोग अभी पहचान नहीं पाये हैं।
हिमालयी क्षेत्रों में इसे कीड़ा-जड़ी, जबकि तिब्बत व चीन में यारसागुम्बा या यारसागम्बू के नाम से जाना जाता है। तिब्बत व चीन में कीड़ा-जड़ी को यौनोत्तेजक व शक्तिवर्धक दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका साइंटिफिक नाम कोर्डिसेप्स साइनेसिस है, जिसे हिमालयन वियाग्रा व अल्पाइन ग्रास भी कहा जाता है।
तिब्बत में 14वीं शताब्दी से हो रहा कीड़ा-जड़ी का इस्तेमाल
पारंपरिक चीनी चिकित्सा पद्धति में डा. वांगयंग ने 1694 में लिखित शोधपत्रों में इस दुर्लभ वन औषधी का उल्लेख किया है। निर्वासित तिब्बतियों द्वारा बनाई जा रही औषधियों में इसका इस्तेमाल होने के चलते बाहरी राज्यों व देशों से चोरी-छिपे कीड़ा-जड़ी को यहां लाया जा रहा है।
क्या है कीड़ा-जड़ी
कीड़ा-जड़ी एक फंफूद है जो हिमालय के ऊंचे बर्फीले क्षेत्रों में पाई जाती है। यह एक ऐसी फंफूद है जो हिमालयी क्षेत्र में कैटरपीलर या कीड़े पर हमला करती है।
यह फंफूद अपने शिकार के अंदर फैल जाता है और 5 साल तक अंडरग्राउंड रहने के बाद कीड़े के सिर से बाहर निकलता है। मई व जून माह में ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फ पिघलने के बाद यह जमीन पर दिखाई देता है।
हिमाचल की ऊंची बर्फीली पहाड़ियों पर उत्पत्ति की सूचनाएं
हिमाचल प्रदेश के थमसर जोत, लाहौल-स्पीति, इंद्रहार जोत व चंबा की ऊंची बर्फीली पहाड़ियों पर कीड़ा-जड़ी की उत्पत्ति की संभावना है।
मई व जून माह में इसको एकत्रित कर बाहरी राज्यों के व्यापारियों को बेचा जा रहा है। यह दुर्लभ औषधी समुद्र तल से 3000 से 5000 मीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है।
हिमाचल के ऊंची पर्वतीय पहाड़ियों पर इस औषधी की उपलब्धता के इंडियन सिस्टम आफ मेडिसिन के रिसर्च इंस्टीटयूट जोगिंद्रनगर और वन्य प्राणी विभाग के रिसर्च मैनेजमेंट संस्थान सुंदरनगर के विशेषज्ञों को कीड़ा-जड़ी की हिमाचल में उपलब्धता की सूचनाएं तो हैं, लेकिन इसकी उपलब्धता के पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं। विशेषज्ञ हिमाचल में इसकी उपलब्धता की खोज में जुटे हुए हैं।from bhaskar news.com with courtsey
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें