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शनिवार, 29 दिसंबर 2012

'दामिनी' के निधन पर फेसबुक मित्रो की भावनाएं


We deeply mourn the sad demise of the Delhi Gangrape victim!

We feel sorry for the departed soul and what she was put throughout

Its a national shame and its high time our country has stringent laws for Women Safety
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India mourns the Brave One...

Salute to the Brave Girl. We will always remember your Pain, Struggle and Courage. You taught us how to fight back for our Rights and Justice. May our Hero rest in peace, and may God give her family strength. We will not rest until we have our country back in our hands.
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बलात्कार पीड़ित लड़की की मौत पर भी राजनीतिक रोटियां सेंकना जारी है.कोई कह रहा है कि राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो तो कोई स्मारक बनाने की मांग कर रहा है.लेकिन अब तक किसी भी राजनीतिक दल(आम आदमी पार्टी सहित) ने यह नहीं कहा है कि वह अपने (उद्दंड) कार्यकर्ताओं को नैतिकता का पाठ पढ़ायेगा या फिर देश के युवाओं खासकर लड़कों को संस्कारवान बनाने की मुहिम छेड़ेगा...ऐसे में तो लगता है कि मीडिया का शोर थमते ही फिर वाही ढाक के तीन पात रहेंगे...
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‎"दामिनी का आख़िरी खत आप सबके नाम......"
देश की लडकियों जाओ, विरोध करो, उखाड फेंको व्यवस्था को.... क्यों आत्महत्या कर रही हो तुम दोषी नहीं हो, इस व्यवस्था में सिर्फ पुरुष दोषी नहीं है, जाति और सामंतवादी व्यवस्था पर बने समाज में जब तक तुम आगे नहीं आओगी तब तक कुछ नहीं होगा. छोड़ दो इन रीति रिवाजों को जो तुम्हें इंसान होने से रोकता है, जो तुम्हें दोयम दर्जे का मानता है, जो तुम्हें गैर बराबरी मूलक समाज में सिर्फ उपभोग की वस्तु मानता है और निरोध से लेकर दाढी बनाने के ब्रश के विज्ञापन में इस्तेमाल करता है.
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दोस्‍तों, जंतर-मंतर और इंडिया गेट जा रहा हूं। आइए, मिलकर निकम्‍मी सरकार का विरोध करें। यदि आज आप घर या ऑफिस में घुस कर बैठ गए तो आने वाली पीढ़ी कभी आपको माफ नहीं करेगी। सड़क पर आइए लेकिन हिंसा से बचिएगा।
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उस पुण्य स्मरण मे मैने पढ़ा सब भी पढ़ें:: मां तुझे याद है तेरे आंगन में चिड़िया सी फुदक रही थी.. ठोकर खा क में ज़मीन पर गिर पड़ी थी.. दो बूंद खून की देख के मां तू भी रो पड़ी थी... मां तूने तो मुझे फूलों की तरह पाला था.. उन दरिंदो का आखिर मैने क्या बिगाड़ा था... क्यू वो मुझे इस तरह मसल क चले गये... बेदर्द मेरी रूह को कुचल कर चले गये..... मां मुझे डर लगता है..बहुत डर लगता है... सूरज की रोशनी आग सी ल...*************************************************Pavan Pathak बहन हमें माफ़ करना ....हम कायर बुझदिल नपुंसक हैं .....
कौरवों की इस शासन में .......लाचार और मजबुर हो गये.....
धृतराष्ट्र बैठा सिंहासन पर .....कुर्सी की मोह में फंसा हुआ .....
द्रोपदी का चीरहरण देखकर.. बैठा रहा मोह के कुर्सी पर..
इंसाफ की इस लडाई में..
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Ashok Mandloi · 3 mutual friends
आप मरी नहीं,अब किसी को मारने केलिए मरी जा रही है,सोचो आप कौन है और क्या किए जा रही हो बहुत है जमाने में पीटने के लायक ..बिचारे पंडित पर रहम खाओ....
दोस्तों मैने अपनी पोस्ट हटा ली है। हाँ अशोक जी मै अभी तक ज़िंदा हूँ और मुझे मालूम है मरने वाली नही हूँ इतनी जल्दी ...:) शुक्रिया आप सभी का। मेरा मकसद किसी को पीटना नही वरन उसे सचेत करना था। इस पोस्ट से और भी कई ऎसे लोग सचेत हो जायेंगे जो किसी को कुछ भी बोल देते हैं।
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Suman Mishra shared a note: शब्द नहीं निः शब्द हूँ मैं ( काश ये शब्द उन दरिंदों को फांसी दे सकते ).
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टीवी चेनल वालो ..प्लीज़ नाट्य रूपांतरण मत दिखाओ ...रूह कांप उठती है घरों में छोटी बच्चियों की ....
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अच्छा हुआ मर गई ! : कडवा सच
शुक्र है अब वह एक बेहतर दुनिया में होगी। जहां कोई उसकी हालत पर सियासत करने नहीं जाएगा। कोई उसपर झूठा लाड़ नहीं बरसाएगा। कोई उसे अमानत, दामिनी और निर्भया घोषित कर टीआरपी, रीडरशिप या लिस्नरशिप हासिल करने की कोशिश नहीं करेगा। उसके इलाज के नाम पर फंड्स इकट्ठा करने की मुहिम नहीं छेड़ेगा।
रही हमारी बात, तो हां, हमें ज़रूरत है प्रायश्चित करने की। और प्रायश्चित उन गुनहगारों को फांसी देना या उनका कास्ट्रेशन करना नहीं है। प्रायश्चित होगा, यह सुनिश्चित करना कि जो उस पर बीती वह और किसी पर न बीते।
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बेटी, मत जाना स्वर्ग
बेटी, मत जाना स्वर्ग
नहीं लेना, अपनी आत्मा के लिए शांति।
हर वो दर्द, जो हमने तुम्हारे लिए तय कर दिए।
लौट आना,
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If justice in all pending rape cases across the country is ensured in the next two-three months, she may rest in peace.
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सवाल यह उठता है जो महत्वाकान्छी युवतियां नाम व दाम के लालच में "समझौते " कर आगे बढती है, वह किसी मेहनती लड़की के लिए चुनौती पैदा नहीं करती? और ये अलग-अलग कार्यस्थलों में होता है इसे नकारा नहीं जा सकता। इस आधार पर कहा जा सकता है कि स्त्री ही, स्त्री की दुश्मन है।
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बहिन तुम कमजोर नहीं हो
काली का अब रूप धरो ,
बुरी नज़र रखने वाले शैतानों का
रक्त बीज राक्षसों की तरह संहार करो .....प्रवीण श्रीवास्तव ‘सौम्य’
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दिल्ली तो दुष्कर्म का ही दूसरा नाम है..
बस में एक लड़की के साथ हुई दरिंदगी किसी के भी साथ कभी भी कहीं भी हो सकती है। अगर आप अपनी इज्जत के साथ शाम को सुरक्षित घर लौटते हैं तो यकीन मानिए आपके ग्रह-नक्षत्र अच्छे हैं। छेड़छाड़, बलात्कार की वारदातें अनायास नहीं है। देश भर के अखबारों के पन्ने किन रंगीन विज्ञापनों से पटे पड़े हैं-शक्तिवद्र्धक दवाओं के अफगानी नुस्खे, जापानी तेल। असरदार इंद्रियवद्र्धक यंत...
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स्वयंभू सभ्य समाज जो आज देश भर में दिल्ली सामूहिक बलात्कार के प्रतिकार स्वरुप सडको पर हे, ये बताएगा के क्त सिर्फ सरकार, पुलिस और प्रशासन ही ज़िम्मेदार हे समाज में बड़ते हुए नारी अपराध या यु कहें के अपराध के लिए? क्या हम सब खुद भी ज़िम्मेदार नहीं? किसी अपराध को घटित होते देख कर आंख बंद करके आगे बड जाने वाले लोग आज सडको पर आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं!! आश्चर्य हे, अपराधियों के होंसले बुलंद होते ही समाज जी...**************************************
पूर्वजन्म के पुण्य होते हैं जो व्यक्ति की मौत को भी महान बना देते हैं...वो अनजानी, नाज़ुक सी लड़की मरते हुए वो कर गयी जो लाखों लोग जीते-जी नहीं कर पाते...उस एक लड़की के कारण आज पूरा देश महिलाओं की सुरक्षा के प्रति चिंतित और गंभीर नज़र आ रहा है...तुम्हारा बलिदान व्यर्थ नहीं गया गुडिया...ईश्वर तुम्हें शांति दे....
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सबसे ज्यादा शर्म की बात तो यह है कि ६५ साल में हम ऐसी व्यवस्था नहीं बना पाये ऐसी सरकार ऐसा कानून नहीं बना पाये जो दामिनी जैसी लड़कियों को न्याय दिला सके और लड़कियों की सुरक्षा कर सके।
बेशक सभी शर्मिंदा और दुखी हैं क्या वे वास्तव में शर्मसार हैं जो हमारे कर्ता-धर्ता बनकर हमपर शासन कर रहे हैं नीतियां बना रहे हैं। क्या वो महिला आज शर्मसार और दुखी होंगी जिन्होंने कहा था कि दामिनी को समर्पण कर देना च...
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दामिनी अनंत यात्रा की पथगामनी बन गई. अपने पीछे छोड गई कई सवाल. जिसमें सबसे बडा सवाल यह है कि क्या यह देश बिना शहदत के जागना नहीं जानता. किसी भी आन्दोलन के लिए शहदत चाहिए. जिस दिन बिना शहदत के हम उठ खडे होगे उस दिन ना तंत्र नकार होगा ना सरकारें और ना ही किसी दामिनी का दामन दागदार 
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My soul cries today for rape victim,Hope her death awakens the insensitive sleeping government .RIP ;(******************
sarkar ko sharm nahin aegi.... netaon ko sharm nahin aegi ....... lekin desh ke yuva jiss tarah haq ki ladai ladd rahe hain wo bemisal hai.... india needs freedom from these currupt and incapable politicians
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मुझे माफ कर दे बहन
शर्म तो सबको आती है
मगर जब गुस्सा आता है
तो पड़ोसी समझाता है
भैया बाहर मत देखो 
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किससे पूंछें क्यूँ उदास फिर सुबह हो गई
आस भरे नयनों में , अश्रू देख बो गयी 
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zinda rahna hi hoga... aur vo zinda rahegi bhi... aag.. aansu aur saanso me.... sabse badi baat yah ki beto ko sikhahiye ki betiyo ke sath ho kaesa bartav..... iske bina kuch nahi badlega... balatkar to vo bhi karta hai bistar to sajha karta hai lekindukh nahi.... jo deh se to judta hai... manse nahi... aur jo nahi deta aurat ko bolne aur faesle lene ki aazadi..... jiskeliye aurat kabhi zameen... kabhi gaaye to kabhi pagdi ho jaati hai.... lekin sathi kabhi nahi hoti....pagdi ho.. zameen ho ya gaaye ho... teeno ke faesle to aadmi hi karta hai.... isliye aurat ko zameen bana dena unhe bhata hai... kyuki zamin kabhi apni koi ikcha nahi jatati......
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‎29 December, 2012. The death of the unnamed, victim of another ghastly act against women, has left the entire Nation dumbstruck. Silence....protests....agitations....anger....pain....
I am afraid, with apparently no immediate solution coming by, the effect will fade out with the advent of the New Year. The pain, I am sure, will be washed away by the festivities that start soon. It is a long-drawn battle.
I will be happy when proven wrong. Will I be?....
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बेशर्म सरकार को कब तक अपनी भावनाओं और जिंदगी से खिलवाड़ करने देंगे आप...?
मेरी बेटी की मौत की कीमत पर भी रुके
दरिंदगी'.....

सिंगापुर।। 23 साल की बेटी घर
की आखिरी उम्मीद थी। साधारण प्राइवेट
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अफसोस तो इस बात पर हो रहा है कि आज भी लोग कह रहे है कि आखिर दस बजे रात को पीडिता क्‍या करने गई थी बाहर। कल को किसी के घर शाम ढलते ही डकैती पड जाए तब वे कहेंगे कि दरवाजा शाम ढलते ही बंद क्‍यों नहीं किया। क्‍या सुरक्षा की जवाबदेही सरकार के बजाए समाज की है, क्‍या सांसदों विधायकों जनसेवकों की मानवता मर गई है लगता है देश में प्रजातंत्र का स्‍थान ले लिया है जंगलराज ने
जीत गईं सोनिया गांधी,
जीत गईं शीला ...
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दामिनी...हम तुम्हारे दोषी हैं, हमें माफ़ मत करना क्योंकि हम जीवन भर शर्मिंदा रहना चाहते हैं
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Ditulis Oleh : Janprachar.com Hari: 4:22 am Kategori:

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