नई दिल्ली। राहुल गांधी को बड़ी भूमिका सौंपने के साथ ही कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। केंद्र में बड़े स्तर पर सांगठनिक फेरबदल का इंतजार किए बगैर कांग्रेस ने जमीनी तैयारी शुरू कर दी है। इसे समय से पहले चुनाव की आशंका मानें या फिर बड़े स्तर पर तैयारी, कांग्रेस नेतृत्व के चार दर्जन पर्यवेक्षक विभिन्न प्रदेशों में सियासी तापमान मापने में जुट गए हैं।
पूरी ताकत से ....
मार्च तक सभी राज्यों से रिपोर्ट आ जाएगी और कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशियों की पहली सूची भी तभी जारी कर दी जाएगी। राहुल को चुनाव समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाने का असर पूरी तैयारियों पर दिखाई पड़े, इसके लिए पार्टी के प्रबंधक पूरी ताकत से जुट गए हैं। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश पर इस दफा भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राहुल के साथ लोकसभा चुनाव समन्वय समिति में शामिल किए गए मधुसूदन मिस्त्री फिलहाल उत्तर प्रदेश की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। दिसंबर तक वह अपनी रिपोर्ट समिति के सामने पेश कर देंगे। इसी तरह सभी राज्यों से रिपोर्ट मंगाई जा रही हैं। तय कार्यक्रम के मुताबिक सभी जगह से मार्च तक सियासी हालात, समीकरण, कमजोरियां या मजबूती का पूरा ब्योरा समिति के सामने होगा।
चुनाव समिति के साथ एंटनी की अध्यक्षता वाली गठबंधन व घोषणापत्र कार्यक्रम क्रियान्वयन उप समितियां इन रिपोर्ट का विश्लेषण करेंगी। इनके आधार पर सहयोगियों की तलाश के साथ कमजोरियों को दूर करने के उपाय ढूढ़े जाएंगे। चुनाव समिति अंत में सभी समीकरणों को देखते हुए उम्मीदवारों की सूची तैयार करेगी। चुनावी तैयारियों में सबसे आगे दिखने के साथ राहुल के हाथ में कमान आने के असर के रूप में समय से काफी पहले सूची जारी कर संदेश दिया जाएगा।
सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने भले ही कहा है कि सरकार कार्यकाल पूरा करेगी, लेकिन पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्र इन तैयारियों को समय पूर्व चुनाव का संकेत मानने से भी पूरी तरह इन्कार नहीं कर रहे। उनका कहना है कि तुरंत तो नहीं, लेकिन 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मंशा के मुताबिक लोकलुभावन बजट पेश करने और उस पर अमल शुरू करने के बाद कुछ भी हो सकता है।
साल के आखिर में यानी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली के विधानसभा चुनावों तक पार्टी हर स्थिति के लिए तैयार होना चाहती है। सूरजकुंड में संवाद बैठक के बाद से पार्टी पहले ही चुनावी मानस में आ चुकी है। अब से उसका हर फैसला लोकसभा चुनाव के मद्देनजर होगा। संकेत हैं कि सांगठनिक फेरबदल भी संसद सत्र से पहले या इस दौरान हो सकता है।
शुक्रवार, 16 नवंबर 2012
वक्त से पहले हो सकते है चुनाव ?
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Ditulis Oleh : Janprachar.com Hari: 11:52 pm Kategori:
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