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सोमवार, 27 अगस्त 2012

चिकित्सकों ने ली ध्रूमपान ने करने की शपथ


भोपाल। जर्दा व इससे बने उत्पाद जैसे सिगरेट के सेवन से होने वाले कैंसर व इसकी भयवहता की तस्वीरें देख चिकित्सक भी सहम गए और उन्होंने तंबाकू व ध्रूमपान ने करने की शपथ ली। मौका था राजधानी के निजी चिकित्सकों के संगठन एपीएमपी द्वारा आयोजित एक कार्यशाला का । इसका विषय था तंबाकू व कैंसर। कार्यशाला में जाने माने कैंसर रोग विशेषज्ञों के व्याख्यान हुए। इन्होंने कहा कि ध्रूमपान छोड़ने के दस साल बाद भी  कैंसर होने का खतरा 40 से 45 फीसदी तक होता है। ऐसे में ध्रमपान को गले लगाए रखने वाले की स्थिति के बारे में कल्पना की जा सकती है। चिरायु मेडिकल कालेज के डॉ. टीपी साहू ने कहा कि स्मोकिंग से फैफड़ों के कैंसर का खतरा हमेशा बना रहता है। वहीं जीएमसी के डॉ. अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि तम्बाकू के सेवन से मुंह के कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है। जीभ के कैंसर के मामले में भोपाल शहर देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में नम्बर एक पर है। तम्बाकू के कारण होने वाले कैंसर का इलाज संभव है। जरूरत इस बात की है कि इसका समय पर इलाज कराया जाए।कार्यक्रम की अध्यक्षता राजधानी के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.एनपी मिश्रा ने की। कार्यशाला में कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.रवि गुप्ता , एपीएमपी के अध्यक्ष व मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. सचिन गुप्ता ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ.टीपी साहू ने फैफड़ों में होने वाले कैंसर के कारण व उसके आधुनिक पद्घति से इलाज के बारे में जानकारी दी। डॉ.अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक हुए अध्ययनों से पता चला है कि मुंह विशेषकर जीभ के कैंसर के सबसे ज्यादा रोगी भोपाल में हैं। कार्यक्रम में डॉ.एनपी मिश्रा ने मौजूद सभी डॉक्टरों को शपथ दिलाई कि वो तंबाकू का सेवन व धूम्रपान नहीं करेंगे।




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