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शनिवार, 25 अगस्त 2012

वैक्सीन नहीं,स्वाइन फ्लू का खतरा बरकरार



भोपाल। बेमौसम पैदा हुए स्वाइन फ्लू के वायरस ने स्वास्थ्य विभाग की परेशानी बढ़ा दी है। प्रदेश में स्वाइन फ्लू एक बार  फिर  पैर पसार रहा है और विभाग के पास इसकी रोकथाम के लिए टीके तक नहीं है। नए किस्म के वायरस वाले स्वाइन फ्लू से कल हुई दो मौतों के बाद आईसीएमआर अब अपनी रिपोर्ट केंद्र को देगा और इसके आधार पर नए वैक्सीन तैयार किए जाएंगे। तब यह प्रदेश क ो मुहैया हो सकेंगे। यह अलग बात है कि  बीते साढ़े तीन सालों में इस बीमारी से हुई 42 लोगों की मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग ने समय रहते इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाए। यहां तक कि  इस मामले में मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक भोपाल,इंदौर में हाई सिक्युरिटी लेब भी अब तक नहीं बन सकी।

प्रदेश में स्वाइन फ्लू पैर पसारता जा रहा है। ऐसे में राज्य सरकार केंद्र सरकार के भरोसे बैठी है। स्वास्थ्य महकमे के अफसरों का कहना है कि जब तक केंद्र से स्वाइन फ्लू के टीके नहीं प्राप्त होते हैं तब तक इंतजार ही करना पड़ेगा। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रदेश में स्वाइन फ्लू आमतौर पर फरवरी-मार्च में प्रभावी होता है। वर्तमान में इस रोग के जो लक्षण नजर आ रहे हैं वे इसके एडल्ट्रेशन वाले वायरस के हैं। इनके लिए नई वैक्सीन की जरुरत है। आईसीएमआर द्वारा स्वाइन फ्लू के नए वायरस का अध्ययन कर रिपोर्ट केंद्र को देगा। इसके बाद ही केंद्र नए वैक्सीन मुहैया कराएगा। सूत्रों के मुताबिक  हालात इस तरह के निर्मित हो गए हैं कि प्रदेश में स्वाइन फ्लू के नए वायरस वाले टीके(वैक्सीन) ही उपलब्ध नहीं हैं। सरकार हर वर्ष डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टॉफ को स्वाइन फ्लू के वैक्सीन लगवाता था,लेकिन केंद्र से टीके मुहैया नहीं होने से इस बार इस मामले में भी लापरवाही बरती गई। इसके चलते सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ  को स्वाइन फ्लू होने का खतरा सबसे ज्यादा बना हुआ है।  स्वास्थ्य विभाग के स्टाक में स्वाइन फ्लू के टीके भले न हों लेकिन  बाजार में इनकी उपलब्धता भरपूर है।,हालांकि यह कितने कारगर हैं,इस बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। बहरहाल, स्वाइन फ्लू के पैर पसारते ही इस तरह के टीके चार सौ से छह सौ रुपए में बेचे जा रहे हैं। स्वाइन फ्लू हो या अन्य कोई संक्रामक रोग,इनके फैलने का खतरा बच्चों में अधिक होता है। स्वाइन फ्लू के उपचार में बच्चों को एक विशेष किस्म का सीरप दिया जाता है ,लेकिन शासकीय चिकित्सालयों में इस दवा का भी टोटा है। इसके चलते  टेमी फ्लू की गोली से काम चलाया जा रहा है।
 अंतिम संस्कार में भी खतरा
  स्वाइन फ्लू  के शिकार व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके अंतिम संस्कार को लेकर भी काफी सतर्कता बरतना जरुरी है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि ऐसे मृतक के शव को पूरी तरह इम्युनाइज करने के बाद ही उसके परिजनों को सौंपा जाता है। साथ ही उन्हें हिदायत दी जाती है कि वे अंतिम संस्कार के क्रिया कर्म में सतर्कता बरते। इन क्रियाआें के दौरान मुंह पर मास्क लगाएं
 ..................'स्वाइन फ्लू का खतरा आमतौर पर फरवरी-मार्च में होता है। इसके लिए प्रीवेंटिव किट केंद्र द्वारा मुहैया कराई जाती है लेकिन वर्तमान में स्वाइन फ्लू के वायरस एडल्टेÑशन के रूप में सामने आए हैं। आईसीएमआर द्वारा इनका अध्ययन कर रिपोर्ट केंद्र को भेजी जा रही है। इसी के आधार पर वैक्सीन मंगाए जाएंगे। इस रोग से मरने वालों के शव को पूरी तरह इम्युनाइज कर ही उनके परिजनों को सौंपा जाता है। ताकि मृतक के अंतिम संस्कार के समय अन्य  को यह रोग फैलने का खतरा न रहे।' डॉ. अशोक शर्मा,संचालक चिकित्सा सेवाएं


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